जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरे की घोषणा की गई है. उसके बाद से आदिवासी सेंगेल अभियान के लोगों ने मांग कि है की प्रधानमंत्री इस दौरे में सरना कोड को लागू करने की घोषणा कर दें.
इसी मांग को लेकर अब आदिवासी सेंगेल अभियान के चार कार्यकर्ताओं ने आत्मदाह करने कि बात कही है.
आदिवासी सेंगेल अभियान के चार कार्यकर्ताओं ने धमकी देते हुए कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने झारखंड यात्रा के दौरान आदिवासियों के लिए सरना कोड को मान्यता देने की घोषणा नहीं करते है,तो आदिवासी सेंगेल अभियान के वे चारों कार्यकर्ता भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू में जाकर आत्मदाह कर लेंगे.
हालांकि इस धमकी के बाद इन चारों कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया है. इसमें चंद्र मोहन मार्डी, पृथ्वी मुर्मू, विक्रम हेंब्रम और कान्हूराम टुडू के नाम शामिल हैं.
आदिवासी सेंगेल अभियान
आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने बताया है कि बिरसा जयंती के दिन यानी 15 नवंबर को विभिन्न ज़िला मुख्यालयों पर सुबह 10 बजे से एक बजे तक सरना धर्म कोड और आदिवासी राष्ट्र बनाने की अपनी मांग के समर्थन में अनशन का उनका कार्यक्रम जारी रहेगा.
उन्होंने यह कहा है कि सालखन और सुमित्रा मुर्मू जमशेदपुर के साकची गोलचक्कर पर अनशन और धरना-प्रदर्शन करेंगे.
वहीं दूसरी ओर आदिवासी सेंगेल महिला मोर्चा की कोल्हान अध्यक्ष प्रेमशिला मुर्मू ने भी आत्महत्या करने की धमकी दी है. उन्होंने कहा है कि मांग पूरी नहीं होने पर वह जशेदपुर में बिरसा मुंडा की प्रतिमा के सामने आत्मदाह कर लेंगी.
इसके अलावा चार कार्यकोर्ताओं की गिरफ़्तार के बाद आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू ने आज यानी मंगलवार को यह बताया है कि आज पता चला है कि कल रात को बोकारो ज़िले के पेटरवार प्रखंड के चंद्रमोहन मार्डी को पेटरवार थाना की पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है.
उन्होंने बताया है कि पृथ्वी मुर्मू और विक्रम हेम्ब्रम को पूर्वी सिंहभूम की बागबेड़ा थाना पुलिस ने और पश्चिम सिंहभूम के सोनुवा प्रखंड कान्हूराम टुडू को गम्हरिया थाना की पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है.
सालखन मुर्मू ने प्रेमशिला मुर्मू के बार में बताते हुए कहा है कि मंगलवार सुबह 11 बजे पश्चिम सिंहभूम ज़िला के सोनुवा प्रखंड और सेंगेल महिला मोर्चा की कोल्हान की अध्यक्ष प्रेमशिला मुर्मू ने आत्मदाह करने का निर्णय लिया है.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमशिला मुर्मू ने 15 नवंबर को दिन में एक बजे जमशेदपुर के साकची गोल चक्कर के पास बिरसा मुंडा की मूर्ति के सामने आत्मदाह करने की घोषणा की है.
यह घोषणा प्रेमशिला द्वारा किया गया है. जिसमें उन्होंने यह कहा है कि अगर 15 नवंबर को बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू से प्रधानमंत्री ने सरना धर्म कोड को मान्यता देने की घोषणा नहीं करते हैं. तो वह जमशेदपुर में आत्मदाह कर लेंगी.
इन सब बातों के अलावा सालखन मुर्मू ने यह भी कहा है कि भारत के लगभग 15 करोड़ आदिवासी समाज को उनकी धार्मिक आजादी नहीं देना संविधान-कानून का गला घोंटने जैसा है.
उन्होंने यह कहा है कि अगर आदिवासियों को उनका धर्म कोड नहीं मिला. तो इसे जबरन सबको हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि बनाने के लिए मजबूर करना माना जाएगा.
इसके अलावा सरना धर्म कोड को मान्यता दिलाने के लिए जो कार्यकर्ता आत्मदाह की बात कर रहे है उन सबको बलिदानी साहस कहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को गिरफ़्तार करके उनकी बलिदानी भावना को कुचला जा रहा है. जिसकी आदिवासी सेंगेल निंदा करते है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि आने वाले दिनों में सेंगेल इसके लिए बड़े आंदोलन की घोषणा करेगा.
इन सब बातों के अलावा पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रकृति को पूजने वाले आदिवासियों की भावनाओं का सम्मान करेंगे और भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू से सरना धर्म कोड को मान्यता देने की घोषणा करेंगे.
लेकिन इस उम्मीद के बावजूद भी वे लोग बिरसा जयंती पर घोषित अनशन कार्यक्रम तो होकर रहेगा.
इसके अलावा उन्होंने आदिवासी सेंगेल की दो मांगें बताया है कि पहले सरना धर्म कोड को मान्यता देना और दूसरा आदिवासी राष्ट्र बनाने की घोषणा करना है.
वैसे सरना धर्म कोड कि मांग काफी लंबे समय से चल रही है. जिसको लेकर आदिवासी अगल-अगल तरह से प्रदर्शन कर रहे है. लेकिन फिर भी सरकार इस मांग को पूरा नहीं कर रही है.
इसके अलावा सरना धर्म कोड को लेकर जीतने भी प्रदर्शन हुए है उन सब में ज्यादातर सेंगेल अभियान ही शामिल थे और उनका एक ही नारा है कि जबतक उनकी सरना कोड कि मांग पूरी नहीं हो जाती है. तब तक वह इस मांग को लेकर प्रदर्शन जारी रखेंगे. लेकिन इन सब के बावजूद भी सरकार इस मांग को पूरा नहीं कर रही है.
इस पूरे मामले में ध्यान देने वाली बात ये है कि सालखन मुर्मू बीजेपी के सांसद रहे हैं. उनके संगठन आदिवासी सेंगल अभियान ने झारखंड, ओडिशा या फिर पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ़ आंदोलन चलाए हैं.
इस संगठन ने इन राज्यों में चल रही सरकार और उनके मुख्यमंत्रियों को जम कर कोसा है. लेकिन आज तक इस संगठन ने बीजेपी या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना नहीं की है.
यह माना जाता है कि सालखन मुर्मू दरअसल बीजेपी और आरएसएस के संगठनों के मुद्दों को ही आदिवासी इलाकों में आगे बढ़ा रहे हैं.
इस पृष्ठभूमि में उनके संगठन का सरना धर्म के समर्थन में यह ऐलान एक पब्लिसिटी स्टंट ज़्यादा है.