HomeAdivasi Dailyपश्चिम बंगाल: सरकारी योजनाओं की जागरूकता के लिए शुरू हुआ ‘दुआरे सरकार’

पश्चिम बंगाल: सरकारी योजनाओं की जागरूकता के लिए शुरू हुआ ‘दुआरे सरकार’

इस कार्यक्रम के तहत सरकारी आधिकारी आदिवासियों के घर-घर जाकर उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से आवगत करवाएंगे. ताकि जो आदिवासी सरकारी योजनाओं से वंचित रहे जाते है, उन्हें इसका लाभ मिल सके.

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के नादिया ज़िले (Nadia district) में प्रशासन द्वारा दुआरे सरकार कार्यक्रम (Duare Sarkar programme) की शुरूआत की गई है.

इस कार्यक्रम के तहत सरकारी आधिकारी आदिवासियों के घर-घर जाकर उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से आवगत करवाएंगे. ताकि जो आदिवासी सरकारी योजनाओं से वंचित रहे जाते है, उन्हें इसका लाभ मिल सके.

18 दिसंबर को जिला प्रशासन ने राज्य के राणाघाट उपखंड से इसकी पहल की है. पहले ही दिन में उन्होंने 120 घरों का दौरा किया था.

जिसमें अधिकारियों ने ब्लॉक के प्रत्येक आदिवासी घर का दौरा किया ताकि उन आदिवासियों और गैर-आदिवासियों का ध्यान केंद्रित किया जा सके जो अभी तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा रहे हैं.

इस दौरे के तहत अधिकारियों ने आदिवासियों का ध्यान कई सरकारी योजनाएं जैसे वृद्ध पेंशन योजना, लक्ष्मीर भंडार योजना से अवगत करवाया गया.

इसके अलावा अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए प्रमाण पत्र और स्वास्थ्य साथी कार्ड उपलब्ध करवाना और प्रवासी श्रमिक डेटा का संग्रहण करना शामिल है.


अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक कई लोगों को या तो योजनाओं के बारे में पता नहीं था या उन्हें उनका उचित लाभ नहीं मिला.

अब तक इन आधिकारियों ने कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए नादिया जिले के शांतिपुर, राणाघाट और हंसखली ब्लॉकों में कई आदिवासियों के घरों का दौरा किया है.

राणाघाट के एसडीओ, रौनक अग्रवाल ने बताया की उन्होंने भी आदिवासी घरों का दौरा किया है. अभी तक प्रशासन द्वारा कई जागरूक कैंप भी चलाए जा चुके हैं, जिसके ज़रिए सभी लोगों को योजनाओं के बारे में जागरूक किया जा रहा है.

इसके अलावा उन्होंने बताया की लाभार्थियों के जांच के लिए प्रश्नावली स्थापित किया गया, जिसके अंतर्गत कुछ प्रश्न तय किए गए. इस प्रश्नावली को लाभार्थियों की पहचान के लिए बनाया गया है.

अधिकारियों ने बताया की उन्हें कई ऐसे केस मिले जिनमें बिना किसी सर्टिफिकेट के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति को लक्ष्मीर भंडार की योजना के तहत 500 रूपयें दिए जा रहे थे.

जबकि योजना के अनुसार 1000 रुपये की राशि मिलने का प्रावधान है. ऐसे कई लोगों की पहचान इस प्रोगाम के तहत की गई है.

वहीं इस बारे में कोई डेटा मौजूद नहीं है की कितने लोगों को अब तक इस कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. लेकिन इसकी प्राथमिक रिपोर्ट से ये पाता लगाया जा सकता है कि आदिवासी क्षेत्रों की हालात अच्छी नहीं है.

इसी संदर्भ में मुख्य सचिव एच.के. ने पिछले साल की बैठक के दौरान कहा था की आदिवासी क्षेत्रों में सभी 24 सरकारी योजनाएं लाभार्थियों को मिलनी चाहिए. इसके लिए उन्होंने अधिकारियों से आदिवासी इलाकों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने का आदेश दिया था.

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