तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली ज़िले के पचमलाई पहाड़ों को अब पर्यटनों के लिए व्यवस्थित किया जाएगा. दरअसल पचमलाई के पूर्वी घाट की निचली पर्वत श्रृंखला में आदिवासी आजीविका और पर्यावरण-पर्यटन प्रोजेक्ट शुरू हो सकता है.
लेकिन इससे लागू करने से पहले एक सलाहकार नियुक्त किया गया है जो इस प्रोजेक्ट और पचमलाई पहाड़ से संबंधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगा.
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य पर्यटकों के लिए पहाड़ में कुछ हॉटस्पॉट खोलकर, पचमलाई के आदिवासियों के लिए रोज़गार उपलब्ध करवाना है.
दूसरा पर्यटकों को पचमलाई पहाड़ की सुदंरता से अवगत करवाना, इसके साथ ही पर्यायवरण को सरंक्षित करना इनके उद्दश्यों में शामिल है.
इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यह पर्यटन विभाग और वन और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा लागू किया जाएगा.
वहीं अगर खर्चे की बात करें तो इस प्रोजेक्ट को लागू करने में ₹ 4.28 करोड़ रूपये की लागत लगाई जा सकती है, इस धनराशि को तमिलनाडु इनोवेटिव इनिशिएटिव (TNII) के द्वारा दिया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट के तहत पचमलाई के पर्यटन विभाग द्वारा कोरैयार झरना और मंगलम झरना के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बुनियादी सुविधाए और सुरक्षा इंतजाम किए जाए जाएंगे.
ये दोनों ही झरने पर्यटको को आकर्षित करने में सक्षम है. मंगलम झरना सलेम ज़िले से निकलता है और तिरुचि ज़िले में बहता है. फिर पेरम्बलूर ज़िले में यह समाप्त होता है और कोरैयार झरना तिरुचि जिले से निकलता है और वहीं समाप्त हो जाता है.
इसी सिलसिले में कलेक्टर एम. प्रदीप कुमार ने बताया कि प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट को राज्य सरकार से हरी झंडी मिल गई है. अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया गया है.
ये भी पता चला है कि इस प्रोजेक्ट के तहत मंगलम फॉल्स में एक चेंज रूम, एक सैनिटरी कॉम्प्लेक्स और एक व्यू टावर स्थापित किया जाएगा.
कोरैयार फॉल्स में सुरक्षा रेल, एक पत्थर का रास्ता, एक ड्रेस चेंजिंग रूम, शौचालय और एक क्लॉकरूम जैसी बुनियादी सुविधाएं स्थापित की जाएगी.
पचमलाई के पर्यटन क्षेत्र बनने से यहां के आदिवासियों को भी इससे फायदा हो सकता है. इस प्रोजेक्ट के तहत पर्यटन क्षेत्र बनने के बाद आदिवासियों के लिए रोज़गार के कई विकल्प खुल सकते है, लेकिन ये तभी सम्भव है जब ये प्रोजेक्ट आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखकर शुरू किया जाए.