असम (Assam) के तिनसुकिया ज़िले (Tinsukia) के तीपोंग क्षेत्र (Tiplong) में एक अवैध कोयला खान से कोयला निकालते हुए (illegal coal mining) तीन लोग विस्फोट की चपेट में आ गए. इस विस्फोट में बुरी तरह से घायल हुए लोगों में से दो की बाद में मौत हो गई.
सितम्बर 19 यानी गणेश चतुर्थी वाले दिन तीपोंग क्षेत्र के नंबर 12 की साइट पर कोयलें का खनन किया जा रहा था. जिस दौरान मीथेन गैस का धमाका हो गया. इस धमाके में तीन लोग घायल हो गए थे.
इनमें से मेघालय के राजू राभा और गोलपाड़ा ज़िले के ध्रीरेश्वर काचारी की घटना स्थल में ही मुत्यु हो गई. यह दोनों ही आदिवासी समुदाय से थे. वहीं तीसरे व्यक्ति को चोटें आई है. इसका नाम लीम्बु बताया जा रहा है. जो पेशे से एक मैकेनिक है.
प्रशासन की तरफ से जानकारी देते हुए बताया गया है कि ये आदिवासी खान में अवैध खनन कर रहे थे. लेकिन सबसे बड़ा सावाल ये है कि आदिवासी इस अवैध काम में क्यों शामिल होते हैं, जबकि वे यह जानते हैं कि इस काम में कई ख़तरे हैं.
आदिवासी क्यों होते है अवैध कामों में शामिल
आदिवासियों के पास रोज़गार के विकल्प मौजूद नहीं होते. जिसकी वज़ह से मजबूरन इन्हें अवैध कार्यो में शामिल होना पड़ता हैं.
इन खानों में सुरक्षा का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं रहता और अगर कोई जान माल की हानि होती है तो सरकार की तरफ से कोई मुआवज़ा भी नहीं मिलता, क्योंकि कोयले का खनन अवैध कार्यो में शामिल है.
अक्सर यह देखा गया है कि कोयला खादानों में ग़ैर कानूनी तरीके से खनन करवाने वाले लोग अलग होते हैं. ये लोग अक्सर दंबग समुदायों से संबंध रखते हैं.
जबकि इन खानों में मज़दूरी करने वाले लोग ग़रीब तबकों से आते हैं.
ये मज़दूर अक्सर मामूली दिहाड़ी के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं. क्योंकि उनके पास जीविका का कोई और विकल्प नहीं होता है.
इस दुर्घटना में भी यह जानकारी मिली है कि राकेश जयसवाल और बिक्रम फाके इस खान में अवैध खनन करवा रहे थे.
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए तिरप ऑटोनॉम्स डिस्ट्रिक्ट कांउसलिंग डिमांड कमेटी ( Tirap Autonomous District Council Demand Committee) ने असम सरकार और पुलिस आधिकारियों से यह आग्रह किया है की वो इस घटना में शामिल आरोपी राकेश जयसवाल और बिक्रम फाके को जल्द से जल्द पकड़े.
इसके साथ ही ये चेतावनी भी दी है की अगर पुलिस ने 21 सितंबर से पहले आरोपियों को नहीं पकड़ा तो वो इस दिन आदिवासियों के हक के लिए धरना प्रदर्शन करेंगे.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में पूरे देश में 71.60 करोड़ टन कोयला उत्पन किया गया था. कोयले को मुख्य रूप से बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इसका प्रयोग मनुष्य के साथ साथ पर्यावरण के लिए भी खतरा है.