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क्या कहते है मध्यप्रदेश के 6 आदिवासी ज़िलों के अब तक के चुनावी नतीज़े

2009 में मध्य प्रदेश के अधिकतर आदिवासी इलाकों में कांग्रेस ने जीत का झंडा लहराया था. लेकिन उसके बाद से इन 6 आदिवासी ज़िलों में एक फिर कांग्रेस कमज़ोर हो गई.

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) प्रचार शुरू चुका है. इस बार के लोकसभा चुनाव सात चरणों में होने वाले है.

राज्य में 29 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 4 अनुसूचित जाति और 6 अनुसूचित जनजाति (tribal constituency) के लिए आरक्षित है.

अनुसूचित जनजाति के लिए 6 आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है – धार, खरगोन, रतलाम, शहडोल, मंडला और बैतूल.

पिछले लोकसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित इन सभी 6 लोकसभा सीटों में बीजेपी ने जीत का झंडा लहराया था और कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा था.

लेकिन इस बार कांग्रेस ने भी अपनी तैयारी में कोई भी कमी नहीं छोड़ी है. इन 6 सीटों में से 3 सीटों (धार, खरगोन, रतलाम) में कांग्रेस को मजबूत माना जा रहा है.

आइए इन 6 आदिवासी सीटों के बारे में विस्तार से जानते है.

धार लोकसभा

2019 में बीजेपी के प्रत्याशी छतर सिंह दरबार सांसद चुने गए थे. उन्होंने कांग्रेस के दिनेश ग्रेवाल को हराया था.

वहीं 2014 में बीजेपी की सावित्री ठाकुर ने कांग्रेस के उमंग सिंगार को हराया और सत्ता हासिल की.

इस बार लोकसभा चुनाव में एक फिर बीजेपी ने सावित्री ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है.

खरगोन लोकसभा

2004 से लगातर यहां बीजेपी ही चुनाव जीती आ रही है. बीजेपी ने अभी तक अपनी पांच सूचियों में खरगोन के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

पिछली बार, 2019 में इस ज़िले से बीजेपी के गजेंद्र सिंह सांसद चुने गए थे. उन्होंने कांग्रेस के डॉक्टर गोविंद मुजाल्दा को चुनाव में हराया था.

वहीं 2014 में बीजेपी के सुभाष पटेल ने कांग्रेस के रमेश पटेल को चुनाव में हराया था.

रतलाम लोकसभा

इस बार बीजेपी ने श्रीमती अनिता नागर सिंह चौहान को उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया है. 2009 में रतलाम की सत्ता कांग्रेस के हाथो में थी. उस समय कांतिलाल भूरिया यहां के सांसद थे.

लेकिन इसके बाद से 2014 और फिर 2019 में बीजेपी ने यह सीट जीत ली थी.

2014 में दिलीप सिंह भूरिया ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को हराया. वहीं 2019 में गुमान सिंह डामोर ने कांतिलाल को हराया था.

इस बार फिर कांतिलाल भूरिया कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए है. उनका मुकाबला अनीता नागर सिंह चौहान से है.

अनीता नागर सिंह चौहान के पति फिलहाल अलीराजपुर से विधायक और राज्य में कैबिनेट मंत्री हैं. अनीता नागर सिंह चौहान ज़िला पंचायत की दो बार अध्यक्ष बन चुकी हैं.

बैतूल लोकसभा

बैतूल आधिकतर बीजेपी के पक्ष में ही रहा है. चुनाव के आंकड़ों के अनुसार 1996 के लोकसभा चुनाव से ही यहां कभी भी कांग्रेस जीत नहीं पाई.

इस साल के लोकसभा चुनाव में बैतूल से बीजेपी ने प्रत्याशी के रूप में श्री दुर्गा दास उड़के को खड़ा किया है.

शहडोल लोकसभा

1996 से 2004 तक यहां बीजेपी को जीत मिली थी. फिर 2009 में कांग्रेस ने शहडोल में जीत हासिल की. लेकिन उसके बाद से कांग्रेस यहां जीत नहीं पाई.

इस बार चुनाव में बीजेपी की तरफ से शहडोल के लिए श्रीमती हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी के रूप में उतारा है.

मंडला लोकसभा

मंडला में हमेशा से बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते दिग्गज नेता रहे है. 1996 से 2004, 2014 और 2019 में फग्गन ने ही अब तक मंडला की सीट हासिल की है.

2009 में ही सिर्फ फग्गन को हार का सामना करना पड़ा.

इस साल भी इसलिए बीजेपी ने फग्गन को ही प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया है.

2009 के चुनावी नतीजों को देखे तो इन 6 ज़िलों में अधिकतर कांग्रेस ही विजय रही है. इससे ये तो समझा जा सकता है की एक समय था, जब कांग्रेस की पकड़ आदिवासी इलाकों में बेहतर थी.

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने देश भर में भारत जोड़ो यात्रा की है. उन्होंने मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में भी कई जनसभाओं को संबोधित किया था.

इस पृष्ठभूमि में यह देखना दिलचस्प होगा की क्या 2009 जैसे ही चुनावी नतीजे कांग्रेस अपने खाते में जोड़ पाएगी?

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