HomeAdivasi Dailyतेलंगाना: परिजनों ने गर्भवती आदिवासी महिला को 20 किलोमीटर कंधों पर उठाकर...

तेलंगाना: परिजनों ने गर्भवती आदिवासी महिला को 20 किलोमीटर कंधों पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया

तेलंगाना के भद्रादि कोठागुडेम जिले की एक गर्भवती आदिवासी महिला को कंधे पर उठाकर अस्पताल ले जाने का मामला सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में सड़क नहीं है जिसके चलते यहां एंबुलेंस नहीं आ सकती है. जब महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो परिवार वालों को समझ नहीं आया कि वे क्या करें.

गांव के नजदीक अस्पताल और सड़क संपर्क सुविधा न होने के कारण आखिरकार परिजनों ने एक चारपाई को रस्सी से बांधकर महिला को उसपर बैठाया और फिर उसे कंधे पर उठाकर करीब 20 किलोमीटर पैदल चले. परिवार के दो पुरुषों ने इस तरह महिला को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया.

चारपाई के जरिए महिला को पहले एंबुलेंस तक पहुंचाया गया. जिसके बाद उसे सत्यनारायणपुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया. जहां से फिर उसे भद्राचलम एरिया हॉस्पिटल (Bhadrachalam Area hospital) में पहुंचाया गया.

भद्राचलम हॉस्पिटल में जांच के बाद महिला ने सी- सेक्शन के द्वारा बच्चें को जन्म दिया. अधिकारियों ने कहा कि मां और बच्चा दोनों ठीक हैं और जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी

वहीं गांव वालों ने बताया की मराक्कम कोसी ऐसी पहली महिला नहीं है. गांव के किसी भी शख्स के बीमार होने पर उसे डोली (अस्थायी स्ट्रेचर) द्वारा ही अस्पताल तक पहुंचाया जाता है.

इन गांवों के पास कोई विकल्प नहीं

जिले के बोधनिल्ली ग्राम पंचायत के कोरकटपाडु गांव की ये घटना तब सामने आई जब दो पुरुषों द्वारा एक महिला को जंगल से ले जाते हुए की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है जब किसी गर्भवती महिला को पालकी पर ले जाना पड़ा हो क्योंकि लगभग 25 ऐसे आदिवासी गांवों में सड़क संपर्क नहीं है. छत्तीसगढ़ सीमा के करीब स्थित कोरकटपाडु में लगभग 30 से 40 आदिवासी परिवार रहते हैं. जिसकी आबादी 200 है.

वहीं भद्राचलम हॉस्पिटल के अंतर्गत आने वाले आठ गांवों में भी मुख्यधारा से जुड़ने के लिए सड़क का निर्माण नहीं किया गया है.

ऐसे में बारिश के समय इन सभी गांवों का मुख्यधारा से कोई भी संपर्क नहीं रहता. जिसकी वज़ह से इन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

अस्पताल ने निकाला डोली का आइडिया
भद्राचलम हॉस्पिटल के अधीक्षक एम रामकृष्ण ने बताया की अस्पताल के अंतर्गत आने वाले आठ गांवों में सड़को का निर्माण नहीं किया गया है. जिसकी वजह से उन्होंने यहां के लिए डोली से मरीजों को लाने का रास्ता निकाला.

हर बार पालकी उठाने वाले लोगों को वह 1300 रुपए भी देते है. वैसे तो डिलीवरी होने से एक हफ़्ते पहले महिलाओं को अस्पताल में भर्ती किया जाता है. लेकिन कुछ महिलाएं अस्पताल में नहीं रहना चाहती.

इसलिए गांव के लोगों के लिए पालकी का प्रबंध किया गया है. यह पालकी या तो आशा वर्कर के घरों में होती है या गांव के किसी मुख्य के घर में होती है. इसके अलावा अस्पताल गांव में रहने वाले आशा वर्कर के संपर्क में रहते हैं.

साथ ही उन्होंने अस्पताल में हो रही डॉक्टरों की कमी पर भी नाराज़गी जताई. उन्होंने कहां की अस्पताल के सिर्फ दो डॉक्टरों ने अगस्त के महीनें में 302 बच्चों की डिलीवरी की है.

हाई रिस्क में हुआ बच्चा

डॉक्टर ने बताया की मराक्कम कोसी की डिलीवरी 16 सितंबर में होने की अपेक्षा रखी जा रही थी. लेकिन इससे पहले ही उन्हें लेबर पेन होना शुरू हो गया. कोसी का बल्ड प्रेशर भी काफी हाई था ऐसी स्थिति में बच्चे को जन्म देना काफी हाई रिस्क होता है.

आज के समय में सरकार कई योजनाएं लागू करती रहती है लेकिन जिन लोगों के लिए यह योजनाएं बनाई जाती है उन तक इसका लाभ नहीं पहुंच पाता. क्योंकि अधिकतर आदिवासी क्षेत्रों में मुख्यधारा से जुड़ने के लिए सड़कें होती ही नहीं.

सड़क संपर्क ना होने के कारण न सिर्फ रोज आने जाने में तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है बल्कि यहां के बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते और न ही इन्हें सही समय पर चिकित्सा सुविधा मिल पाती है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments