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मणिपुर: अमित शाह ने की नौ शांति सभाएं, तो दूसरी तरफ ‘राज्य से पूर्ण अलगाव’ की माँग उठी

केंद्र सरकार ने मणिपुर में बीते कुछ दिनों में जातीतय संघर्ष में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है. देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया.

इंफाल (Imphal) में बहुसंख्यक मैईती (Meitei) और चुराचंदपुर में कुकी जनजाति (Kuki tribe) के साथ 26 दिनों के हिंसक संघर्ष से पीड़ित जातीय समुदायों के बीच सुलह का प्रयास करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का मिशन मणिपुर मंगलवार को उन्हें 60 किलोमीटर दूर दो स्थानों पर नौ शांति बैठकों में ले गया.

बीती तीन मई को मणिपुर में व्यापक स्तर पर जातीय हिंसा भड़कने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ये पहला मणिपुर दौरा है.

अमित शाह ने सोमवार देर शाम इंफाल पहुंचने के बाद कई बैठकें की हैं. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के मंत्रिमंडल के अलावा उन्होंने राज्यपाल, सुरक्षा बलों और प्रशासनिक अधिकारियों से भी मुलाकात की.

उन्होंने इंफाल में आज शाम एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता भी की. उन्‍होंने राजनेताओं से राज्य में सामान्य स्थिति और सांप्रदायिक सद्भाव लाने में मदद करने की अपील की. उन्होंने कहा कि केंद्र शांति लाने की पूरी कोशिश कर रहा है.

इंफाल में सर्वदलीय बैठक और सुरक्षा समीक्षा के बाद शाह ने ट्वीट किया, “मणिपुर की शांति और समृद्धि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, अधिकारियों को शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया गया है.”

गृहमंत्री शाह ने समुदाय के नेताओं, प्रमुख हस्तियों, बुद्धिजीवियों, सेवानिवृत्त सेना अधिकारियों और सिविल सेवकों के साथ बातचीत की.

शाह ने एक बयान में कहा कि जिन प्रमुख हस्तियों से मैंने मुलाकात की उन्होंने शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि हम साथ मिलकर मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान देंगे.

अमित शाह ने मंगलवार को सबसे पहले कैबिनेट की बैठक में हिस्सा लिया. इस बैठक में फैसला लिया गया कि केंद्र और राज्य मिलकर मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपये की मदद देंगे. दोनों सरकार मिलकर आधा-आधा खर्च वहन करेंगी. वहीं पीड़ित के परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी.

अधिकारियों का कहना है राज्य में शांति स्थापित करने के लिए और अफवाहों को रोकने के लिए स्पेशल टेलिफोन लाइन बनाई जाएगी.

राज्य में हिंसा के बाद पेट्रोल, एलपीजी, चावल और दूसरी खाने पीने के सामान की कमी हो गई थी. कैबिनेट मीटिंग के बाद आदेश दिया गया है कि भारी मात्रा में इन चीजों की राज्य में सप्लाई की जाए जिससे ब्लैक मार्केटिंग पर लगाम लगे और लोगों को सही दाम में चीजें उपलब्ध हो सके.

इसके अलावा विभिन्न नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों के साथ उपयोगी चर्चा हुई. उन्होंने शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि हम साथ मिलकर मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान देंगे.

मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति के जितेंद्र निंगोंबा ने कहा कि उनके संगठन और मीरा पैबिस (महिला कार्यकर्ता) के प्रतिनिधियों ने इम्फाल में अपनी बैठक के दौरान शाह से “राज्य की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता” की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने का अनुरोध किया है.

बाद में शाह हेलीकॉप्टर से चुराचंदपुर गए. जहां उन्होंने इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के नेताओं और कुकी छात्र संगठन जैसे विभिन्न समूहों के साथ तीन दौर की बातचीत की. उन्होंने भाजपा के पांच कुकी विधायकों से भी मुलाकात की.

ITLF के सचिव मुआन टॉमबिंग ने कहा कि उनके समूह ने कानून और व्यवस्था के चरमरा जाने का हवाला देते हुए “मणिपुर से पूर्ण अलगाव” और कुछ समय के लिए राष्ट्रपति शासन की मांग की.

उन्होंने आगे कहा कि अमित शाह ने कुकी समाज से शांति बनाए रखने का अनुरोध किया. उन्होंने अगले 15 दिनों के भीतर न्यायिक जांच के अलावा हमारे लोगों के लिए और अधिक सुरक्षा और झड़पों की सीबीआई जांच का वादा किया.

शाह का चुराचंदपुर में जोरदार स्वागत किया गया. जहां हेलीपैड से असम राइफल्स कैंप तक तिरंगा लहराते सैकड़ों पुरुष और महिलाएं सड़क पर कतार में खड़े थे. कुछ लोगों ने तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था, ‘हमारा समाधान आपके साथ है’ और ‘हम आदिवासी हैं, आप हमें रोक नहीं सकते.’

मणिपुर क्यों शुरू हुई हिंसा?

मणिपुर में जारी अशांति के केंद्र में मैतेई और कुकी समुदाय हैं. राज्य की कुल आबादी 30-35 लाख है जिसमें मैतेई समुदाय बहुसंख्यक है. मणिपुर के 10 प्रतिशत भूभाग पर मैतेई समुदाय का दबदबा है.वहीं 90 फीसदी पहाड़ी इलाको में कुकी और बाकी जनजातीय समुदाय है.

मैतेई लंबे समय से जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं. मणिपुर हाई कोर्ट ने मार्च में राज्य सरकार से मैतेई को जनजाति का दर्जा दिए जाने पर विचार करने को कहा. हाई कोर्ट के ऑब्ज़र्वेशन के बाद मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हुई.

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