HomeAdivasi Dailyध्यानचंद स्टेडियम में 18 फरवरी तक आदि महोत्सव, जानिए क्या है खास

ध्यानचंद स्टेडियम में 18 फरवरी तक आदि महोत्सव, जानिए क्या है खास

8 दिवीसय के इस आदिवासी महोत्सव में 28 राज्यों के लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकारों ने हिस्सा लिया है.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आदि महोत्सव 2024 का आयोजन किया गया है. यह महोत्सव 10 फरवरी को शुरू हुआ था और 18 फरवरी तक चलेगा.

इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों से आदिवासी शामिल होने आते हैं. अकेले मध्य प्रदेश से ही इस साल 35 आदिवासी स्टॉल लगाए गए हैं.

इस साल आदिवासी मेले में हस्तशिल्प, हथकरघा, मिट्टी के बर्तन, आभूषण जैसे आकर्षित वस्तुओं का स्टॉल लगाया जाएगा.

8 दिवीसय इस आदिवासी महोत्सव में 28 राज्यों के लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकारों ने हिस्सा लिया है.

इसके अलावा इस मेले में रागी हलवा, कोदो की खीर, मांडिया सूप, रागी बड़ा, बाजरा की रोटी, बाजरा का चुरमा, मडुआ की रोटी, भेल, कश्मीरी रायता इत्यादि के खाने के स्टॉल भी लगाए गए हैं.

गोंड आदिवासियों की पेंटिंग का स्टॉल

मध्य प्रदेश के मण्डल ज़िले की प्रसिद्ध जनजाति गोंड द्वारा चित्रों का भी स्टॉल लगाया गया है. इन चित्रों के द्वारा यह आदिवासी अपना जीवन प्रदर्शित करते हैं. गोंड अपनी कलाकृतियाँ के ज़रिए रहन सहन, संस्कृति और परम्पराओं का परिचय देते है.

इसके अलावा मध्य प्रदेश की बाग साड़ी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बाग प्रिंटिंग प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके की जाती है, जो फलों और फूलों के अर्क से निकाले जाते हैं.

कारीगरो का कहना है कि बाग प्रिंटिंग न केवल कपास बल्कि रेशम, माहेश्वरी, चंदेरी और शिफॉन को भी सुशोभित करती है. बाग प्रिंटेड कॉटन अपने हल्के वजन और जैविक एहसास के कारण गर्मियों में पहने जाने वाले सबसे लोकप्रिय कपड़ों में से एक है.

पश्चिम बंगाल की मोनी हासदा ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें दिल्ली आकर अपनी प्रतिभा दिखाने का ऐसा अवसर मिलेगा.

उन्होंने कहा, “मैं विभिन्न हस्तनिर्मित साड़ियां बनाती हूं. मैंने कभी दिल्ली आकर अपनी प्रतिभा दिखाने के बारे में नहीं सोचा था. इसके लिए मैं मोदी सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं.”

इसके अलावा राजस्थान की कलाकार द्रौपदी ने ऐसे अवसर प्रदान करने के लिए सरकार का धन्यवाद किया.

उन्होंने बताया कि राजस्थान में महिलाएं लाख की चूड़ियाँ पहनती हैं. गैस चूल्हे पर लाख पिघलाकर तैयार किया जाता है.

उन्होंने आगे कहा कि मुझे बचपन से ही हस्तशिल्प का शौक रहा है. इसलिए, मैंने ये सभी पेंटिंग्स लाख से बनी बेकार चूड़ियों से बनाई हैं.

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