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सरना धर्म कोड के लिए दिल्ली में जुटे आदिवासी नेता, बड़े आंदोलन की तैयारी

इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि झारखंड में 26 फरवरी को सरना धर्म कोड के लिए झारखंड के रांची में महारैली का आयोजन होगा . इसके बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में अगले वर्ष के मार्च अप्रैल में महाजुटान होगा. 

11 नवंबर 2022, शुक्रवार को दिल्ली  में आदिवासियों के लिए अलग करना धर्म कोड की माँग के समर्थन में चर्चा हुई. कॉस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान एवं दिल्ली सरना समाज के नेतृत्व में सम्मेलन हुआ. इस सम्मेलन में आदिवासी सेंगेल अभियान और कई अन्य प्रमुख सामाजिक संगठनों भी शामिल हुए. 

सम्मेलन में भाग लेने वाले मुख्यत: झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से प्रतिनिधि थे.

सम्मेलन में शामिल नेताओं ने बताया है कि कल यानि 12 नवम्बर 2022, शनिवार को दिल्ली स्थित जंतर मंतर में हजारों की संख्या में सरना धर्मावलंबी महाधरना में शामिल होंगे. धरने के बाद भारत की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को धरना के माध्यम से ज्ञापन सौंपा जाएगा.

सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधि

इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि झारखंड में 26 फरवरी को सरना धर्म कोड के लिए झारखंड के रांची में महारैली का आयोजन होगा . इसके बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में अगले वर्ष के मार्च अप्रैल में महाजुटान होगा. 

सम्मेलन के बाद आदिवासी नेताओं ने जनजातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा को पृथक सरना धर्म कोड के लिए स्मार पत्र सौंपा. इन नेताओं ने अर्जुन मुंडा से आग्रह किया कि धर्मकोड के मसले को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के सामने पेश करें. 

आज के इस सम्मेलन में यह संकल्प लिया गया कि सरना धर्म कोड के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जोरदार आंदोलन चलाया जाएगा. यह भी तय किया गया है कि हर हालत में सरना धर्म कोड जनगणना फ़ॉर्म में शामिल किया जाए. इस माँग के समर्थन में देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा. 

प्रतिनिधि सभा कहा गया कि आजाद भारत आजाद भारत में भारत के जनजाति समाज के धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मसले को गंभीरता से नहीं लिया गया है. इस सम्मेलन में केंद्र सरकार के साथ साथ उन राज्यों के सरकार की जवाबदेही की बात उठाई गई, जहां आदिवासी रहते हैं. सम्मेलन में आदिवासी नेताओं ने कहा कि  उनके धर्म को पृथक पहचान नहीं देना एक गहरी साजिश का आभास देता है.

राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा की अध्यक्षता धर्मगुरु बंधन तिग्गा एवं दिल्ली सरना समाज के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार भगत ने की. कार्यक्रम की शुरुआत सरना प्रार्थना मुंडारी, कुरुख एवं संथाली भाषा में बारी बारी से संपन्न हुई. मंच का संचालन रवि तिग्गा, संजय पाहन एवं सुशांत तिर्की ने संयुक्त रूप से किया.

प्रतिनिधि सभा में शिक्षाविद डॉक्टर करमा उरांव ने विषय वस्तु को विस्तार से रखी. आज के सम्मेलन में पूर्व सांसद सलखान मुरमू, मध्यप्रदेश से विधायक डॉ हीरालाल अलावा, प्रदीप भगत, भगवान दास मुंडा, बिरसा उरांव, डॉ गोमती बोदरा, डॉ आयशा उरांव, राजेश भगत, शिवा कच्छप, झरियो केरकेट्टा, दुर्गावती ओड़ेया, मंथुरा कंडीर, संगम उरांव, रामदेव भगत, निर्मला भगत, बलकू भगत, अमर उरांव, रंथू उरांव, धाना उरांव ने अपने अपने विचार रखें।

आज की इस प्रतिनिधि सभा में 500 से अधिक संख्या में विभिन्न राज्यों के सैकड़ों सामाजिक और धार्मिक संगठनों के लोग शामिल हुए.

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