HomeAdivasi Dailyकेरल: 313 दिन से भूख हड़ताल पर बैठी आदिवासी महिला की मांग...

केरल: 313 दिन से भूख हड़ताल पर बैठी आदिवासी महिला की मांग हुई पूरी

जिला कलेक्टर वी. आर. विनोद ने कहा की हमने 50 सेंट ज़मीन 60 आदिवासी परिवार को देने का फैसला किया है. सही आने पर इन सभी परिवार को उनके हक की भूमि मिल जाएगी.

313 दिनों की भूख हड़ताल और कड़ी मेहनत के बाद केरल की बिंदु वेलास्सेरी की मांग आज जाकर पूरी हुई है. इतने दिनों तक बिंदु ग्लूकोज़ के सहारे ही जिंदा थी.

बिंदु और 150 आदिवासी परिवार की सालों से यह मांग थी की कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें उनकी हक की ज़मीन आवंटित की जाए.

सोमवार को बिंदु मल्लापुरम ज़िले के कलेक्टर वी. आर. विनोद से मिली और उन्होंने यह आश्वासन दिया है की आदिवासियों की इस मांग को जल्द पूरा कर दिया जाएगा.

जिला कलेक्टर वी. आर. विनोद ने कहा की हमने 50 सेंट ज़मीन 60 आदिवासी परिवार को देने का फैसला किया है. सही आने पर इन सभी परिवार को उनके हक की भूमि मिल जाएगी.

अपने मांग पूर्ति की खुशी में बिंदु ने सामाजिक सुधारक के हाथों से नारियल पानी भी पिया. इन 313 दिनों में बिंदु बिना पानी, बिना भोजन के ग्लूकोज़ के सहारे जीवित थी.

यह प्रदर्शन मई 2023 से शुरू हुआ. जब बिंदु ने 150 आदिवासियों के साथ निलांबुर में स्थित आईटीडीपी दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था.

इन आदिवासियों की मांग है की 2009 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार प्रत्येक आदिवासी परिवार को एक एकड़ ज़मीन आवंटित करवा दें.

11 मई को बिंदु ने यह फैसला किया कि वो अपनी मांग को पूरा करवाने के लिए भूख हड़ताल करेगी. इन 313 दिनों में बिंदु को कई बार अस्पताल जाना पड़ा. लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी.

बिंदु ने यह भी बताया की हफ्ते के तीन या चार दिन अस्पताल के अधिकारियों को उनका चेकअप करने आना था. लेकिन वे इसमें असमर्थ रहें.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है की इतना सब होने के बाद भी रविवार के दिन पुलिस अधिकारियों ने बिंदु को जबरदस्ती अस्पताल ले जाने की कोशिश की.

प्रदर्शनकारियों ने कहा, “पुलिस द्वारा बिंदु को अस्पताल ले जाया जा रहा था. लेकिन हमने उन्हें रोक दिया और ज़िला कलेक्टर से मिलने की मांग रखी.”

सोमवार के दिन आदिवासियों की इस मांग को पूरा कर दिया गया. प्रदर्शनकारियों की मीटिंग ज़िला कलेक्टर के साथ रखी गई और वे 60 आदिवासी परिवार को भूमि देने के लिए राज़ी हो गए.

आदिवासी नेता, गिरीदासान ने बताया की कुछ परिवार ने यह आंदोलन अपनी-अपनी मज़बूरियों के कारण बीच में ही छोड़ दिया था.

उन्होंने आगे बताया की प्रशासन द्वारा कुछ परिवारों को कान्नमकुन्डु और बाकी को नेल्लीपोयिल में ज़मीन देने का निर्णय दिया गया है.

चुनाव के इस माहौल में बिंदु की लंबे समय से चली आ रही मांग भी आज पूरी हो गई.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments