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लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर में केंद्र का बड़ा दांव, पहाड़ियों के लिए 10% आरक्षण बढ़ाया

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. इस बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और उपराज्यपाल के प्रधान सचिव मंदीप कुमार भंडारी शामिल थे.

लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जनजातियों को केंद्र सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने लोकसभा चुनाव 2024 कार्यक्रम और आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले पहाड़ी और तीन अन्य जनजातियों के लिए 10% आरक्षण को मंजूरी दे दी.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार शाम को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पहाड़ी समुदाय और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का कोटा बढ़ाने के लिए केंद्रशासित प्रदेश के आरक्षण नियमों में संशोधन की घोषणा की. साथ ही ओबीसी सूची में 15 और समुदायों को जोड़ने का ऐलान किया.

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस कदम के समय से पता चलता है कि भाजपा चुनावों में इससे चुनावी लाभ उठाना चाहती है.

पाहड़ियों के लिए आरक्षण

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में केंद्रशासित प्रदेश की प्रशासनिक परिषद ने पहाड़ी जातीय जनजाति, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण समुदायों को 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के तहत कुल आरक्षण अब 20 फीसदी हो गया है.

इन समुदायों को आरक्षण की घोषणा संसद द्वारा उन्हें अनुसूचित जनजाति घोषित करने के लिए विधेयक पारित करने के दो महीने बाद और भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से ठीक एक दिन पहले की गई.

लोकसभा से 6 फरवरी और राज्यसभा से 9 फरवरी को मंजूरी मिल जाने के बाद भारत के राष्ट्रपति ने 12 फरवरी को विधेयक को मंजूरी दे दी थी.

जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में अधिसूचित चार समुदायों में से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पहाड़ी समुदाय 2019 से 4 प्रतिशत आरक्षण का लाभ प्राप्त कर रहा था. उस समय तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उन्हें नौकरियों और सरकार द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण देने वाले विधेयक को मंजूरी दी थी.

पहाड़ियों को एसटी का दर्जा दिए जाने से गुज्जर-बकरवाल समुदायों में व्यापक विरोध देखा गया था. जिन्होंने आरोप लगाया कि इस कदम का उद्देश्य उनकी आदिवासी पहचान को कमजोर करना है.

गुज्जर-बकरवाल समुदायों को शांत करने के लिए केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन ने साल 2022 से बार-बार यह कहा है कि पहाड़ियों को आरक्षण देने से उनका कोटा प्रभावित नहीं होगा.

दोनों समुदायों के बीच एक संतुलन स्थापित करने के लिए इस साल एसटी घोषित पहाड़ी और तीन अन्य समुदायों और पहले से अधिसूचित एसटी, दोनों को ही अब 10-10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, जिससे जम्मू-कश्मीर में एसटी श्रेणी का आरक्षण 20 प्रतिशत हो जाएगा.

पहाड़ियों को एसटी का दर्जा देना और उनके कोटा में बढ़ोतरी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की पहाड़ी समुदाय को लुभाने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है.

समुदाय पीर पंजाल क्षेत्र, जिसमें मुस्लिम बहुल राजौरी और पुंछ जिले भी शामिल हैं, के 8 में से 7 खंडों में बहुमत में है. इन सात खंडों में से छह अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट का हिस्सा हैं.

इस कदम से अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को फायदा होने की संभावना है, जो ऐसा पहला चुनावी क्षेत्र है जिसमें जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के भौगोलिक हिस्से शामिल हैं.

इस सीट में 18 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं – 7 जम्मू के और 11 कश्मीर के. परिसीमन आयोग द्वारा इस सीट के गठन पर काफी विवाद हुआ था और इसकी सीमा का निर्धारण एक पार्टी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिहाज से करने के आरोप लगे थे.

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