HomeAdivasi Dailyमध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी समाज से बनना चाहिए : कांग्रेस विधायक

मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी समाज से बनना चाहिए : कांग्रेस विधायक

मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले एक बार फिर आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग उठी है. इस बार कांग्रेस के आदिवासी विधायक ने प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग उठाई है.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) के लिए कमलनाथ को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के कई बड़े नेता नियमित रूप से कहते रहे हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ विधानसभा चुनाव में पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे.

लेकिन इस बीच कांग्रेस के ही एक विधायक ने रविवार को कहा कि राज्य का मुख्यमंत्री आदिवासी समाज से बनना चाहिए. उन्होंने आदिवासियों से कहा कि जब तक प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी नहीं बनेगा, तब तक घर नहीं बैठना.

दरअसल, धार जिले के गंधवानी निर्वाचन क्षेत्र के विधायक उमंग सिंघार ने जिले के कोटेश्वर में जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जब तक मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी नहीं बनेगा तब तक घर नहीं बैठना. मैं अपनी बात नहीं कर रहा हूं. मेरे अपने समाज की बात कर रहा हूं. हमारे समाज के एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनना चाहिए.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैं नेताओं का प्रिय नहीं हूं. मैं आदिवासियों का प्रिय हूं. मैं आपकी बात करता हूं, आपके अधिकार की बात करता हूं. कई नेताओं को मिर्ची लगती है लेकिन डरने वाला आदमी नहीं हूं.’’

सिंघार ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और हाल ही में चुनाव अभियान समिति के प्रमुख बनाए गए कांतिलाल भूरिया को सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि मैं अपने समाज की बात कर रहा हूं, 70 साल हो गए हैं आदिवासी भाईयों को जागने में अब अपनी ताकत से सरकारें हिलने लगी है.

सिंघार ने आगे कहा कि कांतिलाल भूरिया को चुनाव कमेटी का प्रमुख बना दिया गया हैय लेकिन अगर आपको बनाना है तो उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाओ.

उनकी इस मांग ने प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है.

सिंघार मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री रह चुके हैं और अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं. वो पिछली सरकार के दौरान भी दिग्विजय सिंह के साथ विवादों के कारण चर्चा में रहे हैं. उन्होंने सार्वजनिक रूप से दिग्विजय पर टिप्पणी की थी. साथ ही यहां तक कह दिया था कि पर्दे के पीछे से सरकार वहीं चला रहे हैं.

कमलनाथ दिसंबर 2018 और मार्च 2020 के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों के विद्रोह ने कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया था. जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा की सरकार सत्ता में है.

आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग पर बीजेपी भी चुटकी लेती नजर आ रही है. सिंघार के आदिवासी सीएम बनाए जाने की मांग के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अपन तो उमंग के कायल है. कमलनाथ जी को जवाब देना चाहिए.

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