महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में 31 जनवरी तक सभी ट्राइबल रेजिडेंशियल स्कूल, यानि आदिवासी आवासीय स्कूल, जिन्हें आश्रमशाला कहा जाता है, बंद रहेंगे. जिला प्रशासन ने यह घोषणा की है.
नासिक कलेक्टर सूरज मंधारे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “कोविड के चलते नासिक जिले में दूसरे स्कूल बंद होने के बाद, हमने अब फैसला किया है कि आश्रमशालाओं को भी 31 जनवरी तक बंद कर दिया जाना चाहिए.”
मंधारे ने कहा, “हाल ही में, आश्रमशाला में 18 छात्र कोविड पॉजिटिव पाए गए थे. कोई भी छात्र गंभीर रूप से बीमार नहीं हुआ और उन सभी का इलाज किया गया था. लेकिन जिस दर से संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए स्कूल बंद करने में ही समझदारी है.”
नासिक और कलवान दो आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय हैं जो नासिक जिले में कार्यरत हैं. दोनों परियोजनाओं में सामूहिक रूप से 75 से ज्यादा स्कूल हैं, जहां कम से कम 25,000 बच्चे रहते हैं. इन सभी स्कूलों को अब बंद कर दिया जाएगा, और छात्रों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की जाएगी.
जिला कलेक्टर ने शनिवार को कलेक्ट्रेट में आपातकालीन संचालन केंद्र (Emergency Operating Centre) स्थापित करने की घोषणा की, और 13 अधिकारियों को एक टीम का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया. यह अधिकारीकोविड से संबंधित मुद्दों की निगरानी और उसके लिए जरूरी हस्तक्षेप करेंगे.
भागवत डोईफोडे, रेजिडेंट डिप्टी कलेक्टर को नोडल अधिकारी बनाया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड की वजह से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि मिल सके.
डिप्टी कलेक्टर भीमराज दराडे को टीकाकरण की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि पल्लवी जगताप को टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने की पहल की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है.
डिप्टी कलेक्टर नितिनकुमार मुंडावरे, कोविड देखभाल केंद्रों, समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्रों और समर्पित कोविड अस्पतालों में बिस्तर की उपलब्धता की निगरानी करेंगे और जिला आपूर्ति अधिकारी अरविंद नरसीकर चिकित्सा ऑक्सीजन आदि की आपूर्ति की देखरेख करेंगे.