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मणिपुर : इंफाल घाटी में नगा आदिवासियों पर हमले बढ़े

24 मई 2023 को एशियन हॉस्पिटल, इंफाल के पास क्वाकीथेल में एयरपोर्ट के रास्ते में 4 तांगखुल नगा महिलाओं को पीटा गया और परेशान किया गया था. बाद में मामले को तांगखुल प्रथागत कानून के अनुसार आपसी सहमति से सुलझा लिया गया.

मणिपुर में मैतेई और कुकी लोगों के बीच पिछले 8 महीनों से जातीय संघर्ष चल रहा है. मैतेई और कुकी लोगों के इलाके बंटे हैं और दोनों समुदायों में गहरे मतभेद अब भी जारी है. सरकार के तमाम दावों के बावजूद राज्य में अब भी शांति बहाल नहीं हो सकी है. इस सब के बीच अब नगा जनजाति भी केंद्र में आ रही है क्योंकि आए दिन उन पर भी हमले की खबर आ रही है.

दरअसल, नगा आदिवासियों पर हमले बढ़ रहे हैं. कुछ दिन पहले ही संकटग्रस्त राज्य के इम्फाल ईस्ट के सावोमबुंग में अज्ञात मैतेई हथियारबंद बदमाशों ने तीन तांगखुल युवाओं को कथित तौर पर पीटा था.

एक और परेशान करने वाली घटना में 8 दिसंबर को राज्य के बिष्णुपुर जिले में अज्ञात बदमाशों द्वारा दो रोंगमेई नगा लड़कियों पर कथित तौर पर शारीरिक हमला किया गया था.

फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दोनों पीड़ित लड़कियां उस भयानक घटना के बारे में बताते हुए दिखाई दे रही हैं जो उन्हें घर जाते समय झेलना पड़ा था.

पीड़ितों के वीडियो बयान के मुताबिक, घटना 8 दिसंबर को हुई जब थिंगपुई (लैमानई) गांव की रहने वाली दो रोंगमेई लड़कियां बिष्णुपुर के लोयोला स्कूल से घर लौट रही थीं. तब लोकटक प्रोजेक्ट पुलिस स्टेशन के तहत शांतिपुर गांव में मैतेई स्वयंसेवकों ने उन्हें अचानक रोक लिया.

पहचान के सत्यापन के लिए उन्हें निंगथौखोंग की महिलाओं को सौंप दिया गया और बाद में मीरा पैबिस ने रोंगमेई नगा के रूप में उनकी पहचान करने के बाद उन्हें उनके कार्यस्थल लोयोला स्कूल में जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की.

हालांकि,पीड़ित लड़कियों द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो बयान के मुताबिक, उन्हें उनके गंतव्य तक ले जाने के बजाय बिष्णुपुर बाजार के एक सामुदायिक हॉल में ले जाया गया और वहां बिना किसी उचित कारण के स्थानीय लोगों द्वारा पीटा गया. फिर बाद में लोयोला स्कूल के पादरी ने पीड़ितों को बचाया लेकिन तब तक उनकी पिटाई हो चुकी थी.

इस बीच, सूत्रों के मुताबिक, रोंगमेई महिला संगठन ने सोमवार को बिष्णुपुर जिले के चुआंगफुन गांव में अपने समुदाय की दो मासूम लड़कियों के साथ मारपीट मामले के संबंध में मीरा पैबिस को एक बैठक के लिए आमंत्रित किया है.

ऐसी ही एक अन्य खबर में सोमवार को टैक्सी ऑनर्स एसोसिएशन तामेंगलोंग (TOAT) के तहत सभी टैक्सी सेवाओं को रोक दिया गया था. क्योंकि इसके एक सदस्य को इंफाल पश्चिम के खुंबोंग में कुछ मैतेई उपद्रवियों द्वारा कथित तौर पर लोहे की रॉड से पीटा गया था. टैक्सी एसोसिएशन के सदस्य की पहचान केसी चिंगखिउखुआनांग के रूप में की गई है.

रविवार को जारी टीओएटी के एक बयान के मुताबिक, घटना रविवार सुबह करीब 11:30 बजे हुई जब एक यात्री से पैसे वसूलने के मामले को लेकर मैतेई समुदाय के कुछ लोगों ने तामेंगलोंग जिले के एक टैक्सी चालक पर हमला कर दिया.

टीओएटी ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए उचित कार्रवाई करने का संकल्प लिया है.

हालांकि, संकट के दौरान नागाओं के प्रति ऐसी घटनाएं या दुर्व्यवहार की खबरें मणिपुर के लिए कोई नई बात नहीं हैं. इससे पहले 24 मई को उखरूल जिले की चार महिलाओं को एयरपोर्ट जाते समय इंफाल में भीड़ ने पीटा था.

24 मई 2023 को एशियन हॉस्पिटल, इंफाल के पास क्वाकीथेल में एयरपोर्ट के रास्ते में 4 तांगखुल नगा महिलाओं को पीटा गया और परेशान किया गया. बाद में मामले को तांगखुल प्रथागत कानून के अनुसार आपसी सहमति से सुलझा लिया गया.

इसी तरह 15 जुलाई को इम्फाल पूर्वी जिले केइबी हेइकक मापल गांव की तलहटी के पास मारिंग नगा समुदाय की एक 55 वर्षीय महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और फिर मामले को मारिंग प्रथागत कानून के अनुसार सुलझा भी लिया गया था.

हालांकि, अब इस मामले में सीबीआई ने नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है और आगे की जांच जारी है.

वहीं 3 दिसंबर को इंफाल पूर्व के सावोमबुंग में कुछ अज्ञात हथियारबंद लोगों ने तांगखुल के तीन युवकों को बुरी तरह पीटा. इस क्रूर कृत्य की निंदा करते हुए, तांगखुल फ्रंटल संगठनों ने दोषियों को पकड़ने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया.  

लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बावजूद प्राधिकरण की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.

8 महीने से जल रहा है मणिपुर

तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई थी.

ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं.

इसी रैली के दौरान मैतेई और कुकी जनजाति के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. इसके बाद से ही राज्य में हिंसा फैल गई और अब तक शांति बहाल नहीं हो सकी है.

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