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मणिपुर यौन उत्पीड़न की जांच सीबीआई को सौंपी गई, राज्य से बाहर ट्रायल चलाने की तैयारी

गृह मंत्रालय के अधिकारी मैतेई और कुकी समुदाय दोनों के सामुदायिक नेताओं के संपर्क में हैं. ये प्रसास किए जा रहे हैं कि दोनों समुदायों को बातचीत की मेज पर लाया जाए. हालांकि दोनों समुदायों के बीच सुलह पर राय बंटी हुई है, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही बातचीत में कोई सफलता मिलेगी.

केंद्र द्वारा मणिपुर हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद जांच एजेंसी ने हिंसा और साजिश से संबंधित 6 FIR दर्ज की हैं. साथ सीबीआई ने इस मामले में अब तक 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

मणिपुर में 86 दिन से हिंसा की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इस बीच केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. 

इसके अलावा केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया. इसने शीर्ष अदालत से सामूहिक बलात्कार मामले सहित मणिपुर में हिंसा से संबंधित पूरे मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी करने का आदेश देने का भी अनुरोध किया.

गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है. इसमें समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई को मणिपुर से बाहर ट्रांसफर करने का आग्रह किया है.

मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. गृह मंत्रालय ने भी 27 जुलाई को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.

केंद्र ने अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध करते हुए कहा, “केंद्र सरकार वर्तमान जैसे अपराधों को बहुत जघन्य मानती है, जिन्हें न सिर्फ बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए बल्कि न्याय भी होना चाहिए. ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में पूरे देश में इसका गहरा प्रभाव पड़े. यही एक कारण है कि केंद्र सरकार (राज्य सरकार की सहमति से) ने जांच एक स्वतंत्र जांच एजेंसी यानी सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया है.”

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ आज मणिपुर में हिंसा पर याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली थी लेकिन सीजेआई के उपलब्ध नहीं होने के कारण ऐसा नहीं हो सका.

दरअसल, पिछले मणिपुर में 4 मई को हुई एक बेहद ही झकझोर देने वाली घटना का वीडियो सामने आया था. तकरीबन एक हजार लोगों की हथियारबंद भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव पर हमला किया और मकानों को लूटा, उनमें आग लगायी, हत्या की औऱ दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने से पहले उनसे दुष्कर्म किया था. 

इस मामले में अभी तक सात अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

मणिपुर हिंसा को लेकर पीएम मोदी निश्चिंत नहीं है- अमित शाह

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अपने कार्यालय में संपादकों से बातचीत के दौरान कहा कि जिस व्यक्ति ने इस घटना को रिकॉर्ड किया था उसे गिरफ़्तार कर लिया गया है और उस फ़ोन को भी जब्त कर लिया गया है.

अमित शाह का बयान ऐसे समय आया जब मानसून सत्र के दौरान मणिपुर में अभूतपूर्व संकट को लेकर मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है और विपक्ष सदन में पीएम नरेंद्र मोदी के बयान देने की मांग पर अड़ा हुआ है.

अमित शाह ने कहा कि मणिपुर हिंसा में जो लोग दोषी हैं उन्हें बख्शा नहीं जाएगा और मामले की जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी. अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा, जिसमें कई लोगों की जान चली गई, ने पूर्वोत्तर में शांति और विकास लाने की मोदी सरकार की कोशिशों को झटका दिया है. उन्होंने कहा कि ‘यह बहुत पीड़ादायी है.’

हालांकि उन्होंने हालात के जल्द सुधरने और आने वाले दिनों में इसमें और सुधार आने की उम्मीद जताई.

अमित शाह ने कहा कि सभी पक्षों के बीच बातचीत में अच्छी प्रगति हुई है और इससे उम्मीद बढ़ी है कि हम दोनों समुदायों (कुकी और मैतेई) को बातचीत की मेज पर ला सकते हैं.

शाह ने कहा कि कुकी और मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच छह दौर की बातचीत हुई है. जिसमें रिटायर्ड जज, ब्यूरोक्रेट और अन्य मध्यस्थ शामिल थे.

उनके मुताबिक, “विस्तृत बातचीत का ये पहला कदम होगा. प्रधानमंत्री लगातार अपडेट ले रहे हैं, कभी कभी दिन में तीन तीन बार, भले ही वो कहीं भी हों. इस इलाके को मुख्यधारा में लाने के लिए उन्होंने किसी अन्य प्रधानमंत्री की तुलना में कहीं अधिक काम किया है.”

अमित शाह ने कहा कि 18 जुलाई के बाद कोई मौत नहीं हुई है. स्कूलों में उपस्थिति 82 प्रतिशत तक पहुंच गई है जबकि 72 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी काम पर लौट चुके हैं.

विपक्ष के इस आरोप को शाह ने निराधार बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा को लेकर निश्चिंत दिखाई देते हैं.

तीन महीने से मणिपुर में तनाव

मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी हिंसा धमने का नाम नहीं ले रही है. बुधवार को भी मोरेह में दंगाइयों ने 15-16 घरों को आग के हवाले कर दिया.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, गुरुवार को बिशुनपुर और चुराचंद्रपुर की सीमा पर स्थित दो गांवों पर बंदूकधारियों ने हमला बोल दिया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि दो लोग घायल हुए हैं.

अब तक मणिपुर हिंसा में 160 लोगों से अधिक की जान गई है और 60 हज़ार से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.

दरअसल, मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के खिलाफ कुकी समुदाय द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी एकजुटता रैली के तुरंत बाद झड़पें शुरू हो गईं थी. तब से अभी तक राज्य में तनाव का माहौल बना हुआ है.

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