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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023: कोरबा ज़िले के दो आदिवासी गांवों ने चुनाव का किया बहिष्कार

कोरबा में बुनियादी सुविधाओं से वंचित जनजाति के लोगों ने चुनाव बहिष्कार की तैयारी की है. इसे लेकर गांव में कोरवा जनजाति के लोगों ने पोस्टर भी लगाया है. ताकि आस-पास के क्षेत्र के लोगों को भी इस बात की जानकारी मिले कि इस गांव के लोग चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के रहने वाले दो आदिवासी गांवों में निवास करने वाले क्षेत्रों में बिजली पानी जैसी कई अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है.

इसलिए यहां के आदिवासियों ने सुविधाओं की कमी का आरोप लगाते हुए अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है.

इसे लेकर गांव में कोरवा जनजाति के लोगों ने पोस्टर लगाया है. ताकि आस-पास के क्षेत्र के लोगों को भी इस बात की जानकारी मिले कि इस गांव के लोग चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं.


क्या है मामला
दरअसल, रामपुर विधानसभा क्षेत्र के केराकछार ग्राम पंचायत में आने वाले सारडीह और बगधारीडांड में पहाड़ी कोरवा रहते हैं. जो एक विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (PVTG) हैं.

यह निर्वाचन क्षेत्र वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के विधायक ननकी राम कंवर के पास है. राज्य में दो चरणों के चुनाव होने है. पहले चरण में 7 नवंबर को मतदान होगा. वहीं दूसरे चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा.

गांवो में मतदान का बहिष्कार करने के लिए गांव के चारों तरफ बैनर लगाए गए हैं. इसके अलावा बैनर बाहरी इलाकों में भी लगाया गए हैं.

कोरबा गांवों के बाहर निवासियों द्वारा लगाए गए एक बैनर में लिखा है. सरडीह और बगधारीडांड में मतदान का बहिष्कार किया गया है. क्योंकि इन गांवों में बिजली की आपूर्ती नहीं की गई है.

पहाड़ी कोरवा समुदाय से आने वाले सारडीह निवासी संतोष ने कहा कि हम लंबे समय से पीने के पानी, बिजली आपूर्ति, मोबाइल टावर और अन्य बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं लेकिन जन प्रतिनिधियों ने कभी हमारी ओर ध्यान ही नहीं दिया है.

उन्होंने कहा कि इन गांवों तक पहुंचने के लिए एक अच्छी सड़क भी नहीं हैं. संतोष और गांव की कुछ महिलाओं ने मीडिया को बताया कि अब राजनेताओं के खोखले वादे काम नहीं करेंगे.

ग्रामीणों ने इस बार मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है.
कोरबा शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर वन क्षेत्र में स्थित ग्राम पंचायत केराकछार के गांवों में पहाड़ी कोरवाओं के लगभग 150 परिवार निवास करते हैं.

इन आदिवासियों पर जानवरों का भी ख़तरा रहता है. इस बारे में पूछे जाने पर कोरबा जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विश्वदीप ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी मिली है और वह अन्य अधिकारी ग्रामीणों द्वारा उठाए गए मुद्दों को समझने के लिए गांवों का दौरा करेंगे.

उन्होंने कहा कि हम ग्रामीणों को बहिष्कार का आह्वान वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे और उनसे चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का आग्रह करेंगे.

आईएएस अधिकार विश्वदीप जिले में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के नोडल अधिकारी भी हैं. भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने कहा था कि राज्य में पांच पीवीटीजी- अभुजमारिया, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर और बैगा से संबंधित मतदाताओं के नामांकन के लिए एक गहन अभियान चलाया गया था.

पहाड़ी कोरवा आदिवासी भी यह बात शायद जानते ही होंगे कि दो गाँवों के वोट का बहिष्कार करने से आसमान नहीं टूट पड़ेगा, लेकिन फिर भी उन्होंने यह ऐलान किया है. क्योंकि वे किसी तरह से प्रशासन का ध्यान अपने हालातों की तरफ़ खींचना चाहते थे.

भारत में कुल 705 अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes ) में पीवीटीजी की कुल संख्या 75 है. पीवीटीजी 18 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में रहते हैं.

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