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केरल: चार साल बाद भी मारे गए आदिवासी युवक के परिवार को है इंसाफ़ का इंतज़ार

यह केस पालक्काड ज़िले के मण्णारकाड की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विशेष अदालत में चल रहा है. अदालत ने स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को हटाने की मधु की मां मल्ली की मांग पर राज्य सरकार से राय मांगी है.

केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अगले आदेश तक आदिवासी युवक, मधु की हत्या के मुकदमे पर रोक लगा दी है. 22 फरवरी, 2018 को पालक्काड जिले के अट्टपाड़ी में मधु को एक किराने की दुकान से चावल चोरी करने के आरोप में पीटा गया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी.

यह केस पालक्काड ज़िले के मण्णारकाड की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विशेष अदालत में चल रहा है. अदालत ने स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को हटाने की मधु की मां मल्ली की मांग पर राज्य सरकार से राय मांगी है.

अदालत ने मल्ली द्वारा दायर याचिका पर आदेश जारी कर हत्या के मामले में सभी कार्यवाही को तब तक स्थगित रखने का निर्देश दिया है जब तक कि सरकार स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सी राजेंद्रन को हटाने की उनकी याचिका पर फैसला नहीं ले लेती. मल्ली ने सरकार से मामले को सुनवाई के लिए अतिरिक्त स्पेशल प्रॉसिक्यूटर राजेश एम मेनन को सौंपने का अनुरोध किया है.

मल्ली का आरोप है कि वर्तमान स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ठीक से अदालत में उनका पक्ष नहीं रखे रहे हैं, और गवाहों की परीक्षा से संबंधित नियमों के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहे हैं.

इससे पहले, केस के जांच अधिकारी ने मामले की सुनवाई में हुई चूक और गड़बड़ी के संबंध में जिला पुलिस प्रमुख को एक रिपोर्ट दी थी.

क्या है मामला?

पालक्काड के 27 साल के एक आदिवासी को 2018 में खाने की चोरी के शक में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था.

मधु के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर 25 जनवरी को मामले की सुनवाई के समय कोर्ट में मौजूद नहीं थे. इससे पहले पिछले साल 15 नवंबर को अदालत ने सुनवाई को 25 जनवरी तक के लिए टाल दिया था क्योंकि उस दिन भी वकील मौजूद नहीं था.

अदालत ने तब मामले को 26 फरवरी, 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया था. वी.टी. रघुनाथ को अगस्त 2019 में मृतक के लिए वकील नियुक्त किया गया था. लेकिन वो अदालत में ज़्यादातर बार सुनवाई के लिए हाजिर नहीं हुए थे.

स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की अनुपस्थिति ने कई बार मामले की सुनवाई में देरी की है. फरवरी 2018 में हुई घटना के लिए प्रॉसिक्यूटर ढूंढना तक आसान नहीं था.

मधु के परिवार ने तब आरोप लगाया था कि जानबूझकर मुकदमे में देरी की जा रही है. मल्ली ने अपने बेटे के लिए न्याय की मांग करने के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की भी बात कही थी.

घटना के बाद गठित विशेष जांच दल ने मई 2018 में 3,500 पन्नों की चार्जशीट का मसौदा तैयार किया था, जिसमें कुल 16 लोगों का नाम था.

आरोपियों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत हत्या का आरोप लगाया गया.

राज्य सरकार पर इस मामले में राजनीतिक दबाव रखने का भी आरोप लगाया गया था, क्योंकि एक आरोपी शम्सुद्दीन को सितंबर 2021 में माकपा शाखा सचिव के रूप में चुना गया था. हालाँकि, विरोध के बाद इस फैसले को रद्द कर दिया गया था.

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