HomeAdivasi Dailyकैसे एक आदिवासी समुदाय के लिए 68 साल के तंगसामी बने मार्गदर्शक

कैसे एक आदिवासी समुदाय के लिए 68 साल के तंगसामी बने मार्गदर्शक

तंगसामी अपने गांव में दसवीं कक्षा की शिक्षा पूरी करने वाले इकलौते व्यक्ति हैं. उन्हें 1983 में एक ऑफिस बॉय की नौकरी मिली और आगे इसी क्षेत्र में उन्होंने अपना करियर बनाया. हालांकि वह अपनी जड़ों और उस समुदाय को नहीं भूले जिससे उनका संबंध है.

60 की उम्र के बाद हम में से ज्यादातर लोग आराम करने के लिए अक्सर रिटायर हो जाते हैं. लेकिन दुनिया में एस तंगसामी जैसे भी लोग हैं, जो इस रास्ते पर नहीं चलते. 68 साल के तंगसामी अक्सर अन्नमलई और वालपारई में दिख जाते हैं, और वहां की आदिवासी बस्तियों के लोगों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करते हैं.

काडर जनजाति से ताल्लुक रखने वाले तंगसामी को सर्द हवाएं और गर्म मौसम भी उनके इस मिशन से नहीं रोक सकते.

तंगसामी रोज़ सुबह 6 बजे अपनी यात्रा शुरू करते हैं, और पहले संगमपालयम के बस स्टॉप जाते हैं. वहां से एक अंदरूनी गांव सेक्कलमुडी की बस पकड़ते हैं. गांव में उतरने के बाद वो बालकीनर आदिवासी बस्ती तक पैदल चलते हैं. इस बस्ती तक पहुंचने के लिए जंगल के बीच से सात किलोमीटक का लंबा ट्रेक है, और यहां कोई गाड़ी नहीं जाती. बावजूद इसके तंगसामी अपने मिशन को लेकर अडिग हैं.

गांव में काडर जनजाति के करीब 34 परिवार हैं. दोपहर तक वहां पहुंचकर वह आदिवासियों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना शुरू करते हैं. पोल्लाची में रहने वाले तंगसामी वहां की बस्तियों को शिक्षित करने के लिए अक्सर अन्नमलई और वालपारई जाने के लिए निकल पड़ते हैं.

जब तंगसामी छोटे थे तो वो अक्सर अपने पिता के साथ शहद इकट्ठा करने जाते थे. लेकिन जब एक दिन उनके पिता के पैर में फ्रैक्चर हो गया और तंगसामी को उन्हें उठाकर 10 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव जाना पड़ा, तो उन्हें विश्वास हो गया कि वह जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं.

तंगसामी अपने गांव में दसवीं कक्षा की शिक्षा पूरी करने वाले इकलौते व्यक्ति हैं. उन्हें 1983 में एक ऑफिस बॉय की नौकरी मिली और आगे इसी क्षेत्र में उन्होंने अपना करियर बनाया. हालांकि वह अपनी जड़ों और उस समुदाय को नहीं भूले जिससे उनका संबंध है.

कोयंबटूर में Sugarcane Breeding Institute में एक वरिष्ठ तकनीशियन के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद तंगसामी ने आदिवासी समुदायों के जीवन में बदलाव लाने का बीड़ा उठाया. वह अब लगभग 18 गांवों के लिए मार्गदर्शक बन गए हैं, और जनजातीय समुदाय के लोगों को जमीन के पट्टे के लिए आवेदन करने, आधार और आवासीय जैसे सरकारी प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. तंगसामी ने हज़ारों आदिवासी परिवारों और छात्रों के जीवन को बदल दिया है.

वह आदिवासी छात्रों की उनकी पढ़ाई में भी मदद करते हैं और उन्हें बौद्धिक और वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं. अपने दुपहिया वाहन से उन्हें स्कूल छोड़ने से लेकर सरकारी स्कॉलरशीप के लिए आवेदन करने तक, हर चीज़ में उनका प्रोत्साहन बच्चों के लिए रहता है. तंगसामी आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कराना सुनिश्चित करते हैं.

तंगसामी अपने आदिवासी समुदाय को बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए अपनी मासिक पेंशन का लगभग 8 से 10 हज़ार तक खर्च करते हैं. वह इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण हैं कि अगर आप किसी चीज को करने की ठान लेते हैं तो उम्र, हैसियत और पैसा मायने नहीं रखता.

(Image Credit: The New Indian Express)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments