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आंध्र प्रदेश: इन गांवों के आदिवासी डोली, मसाल और नारों के साथ क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन

शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीतारमा राजू (एएसआर) ज़िले के आदिवासियों ने डोली और मसाल लेकर आंदोलन किया और कई सारे मांगे रखी.

जब लोगों की मांग पूरी नहीं होती तो वह आंदोलन करके सरकार का ध्यान अपनी ओर खिंचते है ताकि उनकी मांगे पूरी हो सके. कई एक बार ऐसा करने से सरकार का ध्यान उनकी मांगों की ओर आकर्षित भी हो जाता है.

ऐसा ही एक मामला आंध्र प्रदेश से सामने आया है. शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीताराम राजू (ASR) ज़िले के आदिवासियों ने अपनी समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए डोलियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

आदिवासियों ने अनंतगिरि में आईटीडीए परियोजना अधिकारी और संयुक्त कलेक्टर के तत्वावधान में आयोजित विशेष स्पंदन कार्यक्रम में डोली लेकर अपनी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने की मांग की है.

आदिवासियों ने गिरिजन संघम के तत्वावधान में डोली और मशालें लेकर बिजली आपूर्ति, सड़क और अन्य सुविधाओं की मांग करते हुए नारे लगाए. उन्होंने कहा की वह जानना चाहते है कि उन्हें कितने समय तक अंधेरे में रहना पड़ेगा.

उन्होंने बताया कि चीन कोनाला, गुडेम कराकावलसा, बोमगुजा सिम्मुडु वालासा और एजेंसी क्षेत्रों के पांच अन्य गांव है, जहां पर अभी तक बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण वे अंधेरे में रहने के लिए मजबूर है. साथ ही लगातार जंगली जानवरों द्वारा हमला किए जाने के डर में जी रहे हैं.

इस विरोध प्रदर्शन में जेडपीटीसी सदस्य डी. गंगाराजू, अनंतगिरी के सरपंच सोमुला रूथ, टोकुरु के सरपंच किल्लो मोशिया, सीपीआई (एम) मंडल सचिव एस. नागुलु और जिला सचिवालय के सदस्य के. गोविंदा राव भी शामिल हुए.

आदिवासियों के इस डोली प्रदर्शन में ईटीडीए के परियोजना अधिकारी वी. अभिषेक और संयुक्त कलेक्टर शिवा श्रीनिवास स्पंदना एक बैठक से बाहर आए और प्रदर्शनकारियों आदिवासी से मुलाकात की.

प्रदर्शनकारी आदिवासियों की मांगे

प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों ने बताया कि 2021 में संयुक्त विशाखापत्तनम ज़िले के रचाकिलम, माद्रेबू, पीचुमामिडी और गुम्मनथी गांवों में रहने वाले 2,000 लोगों के लाभ के लिए बल्लागारुवु से दयोथी तक एक सड़क को मंजूरी दी गई थी. लेकिन इसका काम आज तक शुरू नहीं हुआ है.

प्रदर्शनकारियों ने सीसीडीपी निधि से उन आदिवासियों के लिए नावों का प्रावधान करने की भी मांग की है. जिन्होंने थाटीपुड़ी जलाशय के कारण अपनी जमीन खो दी है.

इसके अलावा प्रदर्शनकारी आदिवासियों ने यह आरोप लगाया कि एक राजस्व अधिकारी ने भूमि रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करके आदिवासियों की खेती के अधीन भूमि को उनकी जानकारी के बिना कारोबारियों को हस्तांतरित कर दी है. ऐसे में उन्होंने इस मामले से जुड़े संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की करने की मांग की है.

जिसके बाद आईटीडीए परियोजना अधिकारी ने संयुक्त कलेक्टर को आरोप की विशेष जांच करने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

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