बिहार (Bihar) में सरकारी नौकरियों (Govt jobs) में सभी कर्मचारियों को प्रमोशन दिए जा रहे हैं. लेकिन बहुजन समाज पार्टी (Bhujan samaj party) द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक बिहार सरकार अनुसूचित जनजाति (Schedule tribe) और अनुसूचित जाति (Schedule caste) को नौकरियों में प्रोमशन नहीं दे रही है.
राज्य सरकार द्वारा 2022 में किए गए जातिगत सर्वे के मुताबिक बिहार में 1.68 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं. ये राज्य की कुल जनसंख्या के मुताबिक काफी कम है. इतनी कम जनसंख्या होने के कारण ही इन्हें राज्य सरकार की तरफ से भी सिर्फ 1 फीसदी का ही आरक्षण दिया जाता है
अब मायावती की पार्टी बीएसपी द्वारा ये आरोप लगाया जा रहा है की इस 1 फीसदी आरक्षण के जरिए जिन भी आदिवासियों को सरकारी नौकरी मिली है उन्हें प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है.
मामले के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सरकारी नौकरियों से संबंधित मामला लंबित होने के बावजूद भी राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आदिवासी और अनुसूचित जाति को छोड़कर सभी कर्मचारियों को प्रमोशन दिया है.
बीएसपी ने आरोप लगाया की मौजूदा सरकार द्वारा आदिवासी और अनुसूचित जाति को किनारे करने से यही जाहिर हो रहा है की वे दलित और आदिवासी विरोधी सरकार है.
बीएसपी के नेता अनिल कुमार ने अपने भाषण में कहा की सरकार ने रातोंरात कैबिनेट की मीटिंग की और 13 अक्टूबर को बिहार गजट जारी कर दिया.
अनिल कुमार ने ताने कसते हुए कहा, “सरकार द्वारा एक नया आरक्षण नियम लागू किया गया है. लेकिन इसमें आदिवासी और अनुसूचित जाति को छोड़कर सभी वर्ग के पदाधिकारियों और कर्मियों को प्रमोशन दिया जा रहा है.”
शायद यही वजह रही होगी कि राज्य के अलग-अलग विभागों में सेवा दे रहे 98 प्रतिशत आदिवासियों को प्रमोशन नहीं दिया गया है.
पार्टी के मुताबिक बिहार गजट दलित और आदिवासी समाज को दबाने और मारने वाला है. इसके अलावा बीएसपी के कार्यकर्ता अनिल कुमार ने राज्य सरकार को काला धब्बा और आदिवासी विरोधी बताया है. ये भी कहा है की मौजूदा सरकार डॉ भीमराव अम्बेडकर के बनाए गए कानून को नहीं मानती है.
पार्टी द्वारा राज्य सरकार से ये आग्रह किया है की वे जल्द से जल्द आदिवासी कर्मचारियों को भी प्रमोशन दें नहीं तो उनकी पार्टी के सभी कार्यकर्ता आंदोलन पर उतर आएंगे.