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त्रिपुरा: प्रद्योत किशोर ने ‘असोम भोजन’ में आदिवासियों को एकजुट होने का किया आह्वान

त्रिपुरा में आयोजित असोम भोजन में प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने सभी आदिवासियों को एकजुट होने का आग्रेह किया.

टिपरा मोथा पार्टी के संस्थापक और शाही वंशज से नेता बने प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने गुरुवार को त्रिपुरा के आदिवासी समुदायों से एकजुट रहने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि एकता और सामूहिक कार्य ही संवैधानिक अधिकारों और सामाजिक आर्थिक विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं.

त्रिपुरा की कोकबोरोक भाषा में ‘थांसा’ या एकता इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव के लिए टिपरा मोथा का मुख्य चुनावी नारा था. हालांकि, पार्टी सरकार बनाने में विफल रही, उसने 60 में से 13 सीटें हासिल कीं और अपने पहले प्रयास में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरी.

देबबर्मा की पार्टी वर्तमान में आदिवासियों के लिए प्रस्तावित अलग राज्य ग्रेटर टिपरालैंड की मांग को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर रही है.

‘असोम भोजन’ एक पारंपरिक सभा होती है, जो राजशाही काल में आयोजित की जाती थी और जिसे हाल ही में देबबर्मा ने पुनर्जीवित किया था.

‘असोम भोजन’ कार्यक्रम का आयोजन मूल निवासी समुदायों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करने और भोजन कलाकारों को सम्मानित करने के लिए किया जाता है.

प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा का संबोधित

प्रद्योत किशोर माणिक्य ने असोम भोजन को संबोधित करते हुए कहा है की आदिवासियों को संकीर्ण मतभेदों और ईर्ष्या को दूर करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मूल निवासी समुदायों का विकास हो एवं दूरदराज के स्थानों के लोगों को उनकी गरीबी से ऊपर उठाया जा सके.

उन्होंने बताया है कि हम सभी को आपसी समझ एवं विकास के लिया एक साथ आने की जरूरत है और ईर्ष्या मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है. जिस पर हम में काबू पाना चाहिए.

प्रद्योत किशोर माणिक्य ने मणिपुर में मूल निवासी मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष की ओर भी आदिवासियों का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि हिंसा कोई समाधान नहीं देती है. लेकिन इसके दूरगामी परिणाम होते हैं.

उन्होंने कुकी समुदाय के प्रमुख जैकब ब्रुखम, रंगलोंग समुदाय के प्रमुख रूबेन रंगलोंग और अन्य जैसे विभिन्न समुदाय के सरदार है. जिन्हें स्थानीय रूप से समाजपति कहते है के बारे में बात करते हुए कहा है की उनकी सामुदायिक पहुंच के लिए प्रयास की सराहना की और कहा कि इस तरह के कदम से भविष्य में स्वदेशी विरासत और संस्कृति का संरक्षण होगा.

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