तमिलनाडु (tribes of Tamil Nadu) के नीलगिरी के आदिवासियों को दो साल पहले पेयजल सुविधा देने के वादे को अब तक पूरा नहीं किया गया है.
इस सुविधा का लागू करने की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई थी.
इसलिए अब आदिवासियों ने वन विभाग से आग्रह किया है की वे जल्द से जल्द योजना को लागू करने का काम शुरू करें.
योजना के तहत नीलगिरी के आदिवासी बस्तियों में 20 कुएं बनाने की घोषणा की गई थी. 2021-22 में आदि द्रविड़ और आदिवासी कल्याण विभाग ने योजना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी.
नीलगिरी आदिवासी कल्याण संघ के सचिव एम. अलवास बताते है की राज्य में मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए तीन करोड़ के खर्चे का एलान किया गया था.
उन्होंने यह भी बताया की आवंटित रकम सिर्फ पेयजल की सुविधा के लिए नहीं थी बल्कि इसके अतंर्गत सभी गाँव तक नवीकरणीय उर्जा की सहायता से बिजली पहुंचाने का वादा भी किया गया था.
लेकिन अभी तक वन विभाग द्वारा गाँव में ना ही बिजली पहुंचाई गई है और ना ही कोई पेयजल सुविधा यहां मौजूद है.
ये भी पता चला है की जिन गाँव में पानी की पाइपलाइन लगाई है. वो खराब गुणवत्ता की है.
एमटीआर के फील्ड निदेशक और वन संरक्षक, डी वेंकटेश ने आरोप लगाया है की कुछ इलाकों में पाइपलाइन के हिस्से चोरी हो गए है.
उन्होंने आगे बताया की कुछ गाँव में नल की आवश्यकता है और अन्य में पंप संचालित करने के लिए बिजली कनेक्शन की आवश्यकता है.
उन्होंने यह दावा किया की नीलगिरी के आदिवासियों की यह समस्या अगले दो हफ्ते में खत्म हो जाएगी.
इसके अलावा उन्होंने कहा की हम जल्द से जल्द आदिवासियों के पेयजल सुविधा के लिए पानी के टेंक प्रदान करेंगे.
यह सोचने वाली बात है की दो साल तक नीलगिरी के आदिवासी इलाकों में पानी क्यों नहीं पहुंच पाया है. जबकि आदिवासी कल्याण विभाग ने यह दावा किया है की उन्होंने इस काम के लिए तीन करोड़ दिए थे.
अभी भी सरकार पानी के टैंक प्रदान करके अस्थायी समाधान निकालने में जुटी है.