HomeAdivasi Daily4 नई ट्रेनों की घोषणा, आदिवासी बस्तियों को जोड़ेंगी

4 नई ट्रेनों की घोषणा, आदिवासी बस्तियों को जोड़ेंगी

भारतीय रेल ने आदिवासी बस्तियों को शहरों से जोड़ने के लिए 4 नई ट्रेनों की घोषणा की है. जिसमें बंगाल और ओडिशा आदिवासी बस्तियां शामिल हैं.

साल 1911 में ओडिशा के आदिवासी इलाकों को जोड़ने के मयूरभंज जिले के बादामपहाड़ रायरंगपुर के आदिवासी इलाकों लिए कोलकाता से एक ट्रेन चलाई गई थी. लेकिन उसके बाद ऐसी कोई कोशिश नहीं की गई.

अब भारतीय रेल ने घोषणा की है कि वह इन आदिवासी इलाकों के लिए चार नहीं ट्रेन शुरु करेगा.

इस घोषणा के अनुसार बादामपहाड़-रायरंगपुर के साथ सीधी कनेक्टिविटी शालीमार-बादामपहाड़ साप्ताहिक एक्सप्रेस के माध्यम से उपलब्ध होगी.

इस घोषणा पर SER यानी दक्षिण पूर्व रेलवे के कार्यालय की तरफ से इस ट्रेन का टाइम टेबल जारी किया गया है.

इस टाइम टेबल के अनुसार हर शनिवार रात 11.05 से ट्रेन शालीमार से रवाना होगी. इसके बाद शालीमार एंव बादामपहाड़ के बीच संतरागाछी, खड़गपुर, झाड़ग्राम, घाटशिला, आसनबोनी, टाटानगर, बहलदा रोड, औंलाजोरी एंव रायरंगपुर में रुकेगी. भारतीय रेल ने कहा है कि यह ट्रेन सेवा बहुत जल्दी शुरु हो जाएगी.

उन्होंने यह भी कहा है कि इस ट्रेन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ ही आदिवासी क्षेत्र के विकास में भी भूमिका निभाएगी.

दक्षिण रेलवे की तरफ से रेल इतिहास के बारे में बताते हुए कहा गया है कि खनिज केंद्र में रेल कनेक्टिविटी के इतिहास में साल 1911 में टाटानगर से बादामपहाड़ तक पहली रेलवे लाइन बिछाई गई थी और इस क्षेत्र में कई शताब्दी से एक यात्री ट्रेन थी जो बेल्ट के लाखों लोगों के लिए जीवन रेखा के रूप में काम करती थी.

दूसरी डेमू यानी डीज़ल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट पैसेंजर ट्रेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में हरी झंडी दिखाई थी. यह ट्रेन टाटानगर से लेकर बादामपहाड़ में शुरू की गई थी.

जिसे पिछले साल दक्षिण पूर्व रेलवे ने विद्युतीकरण होने के बाद डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट को मुख्य इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट में अपग्रेड किया है.

एक दावा किया जा रहा है की इस क्षेत्र को रेल कनेक्टिविटी में और अधिक विकास के लिए तैयार किया जा रहा है. जिसके अंतर्गत पिछले साल एक सर्वेक्षण हुआ है. ताकि टाटानगर और बादामपहाड़ के बीच की ट्रेन लाइन को दोगुना करने के लिए किया गया था.

इसके अलावा बादामपहाड़ और क्योंझर के बीच एक नई लाइन बाने को लेकर सर्वेक्षण हुआ है ताकि बादामपहाड़ एंव क्योंझर स्टेशनों के बीच नई लाइन के लिए एक विस्तृत परियोजना शुरु की जा सके और यह भी दावा किया जा रहा है की इसी तरह गोरुमाहिसानी और बंग्रिपोसी रेलवे स्टेशनों के बीच एक और नई लाइन के लिए डीपीआर यानी विस्तृत परियोजना रिपोटर् पर काम उच्च चरण पर है.

नई लाइन के चालू होने के बाद बादामपहाड़ और चेन्नई जैसे दक्षिण के शहरों के बीच कनेक्टिविटी काफी बढ़ जाएगी.

आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. जिसके अभाव में आदिवासी बुनियादी सुविधाओं के लिए अपने गांव से कई घंटों पैदल चल कर आस-पास के शहरों या कस्बों तक पहुंचते हैं. क्योंकि इन इलाकों में अक्सर यातायात के साधन नहीं मिलते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि समय पर अस्पताल ना पहुंच पाने से लोगों की मृत्यु तक हो जाती है.

इन परिस्थितियों में भारतीय रेल का यह कदम निश्चित ही काबिले तारीफ़ है. उम्मीद की जानी चाहिए की रेलवे जल्दी ही इस सेवा को शुरू कर देगी.

इसके अलावा जैसा दावा किया गया है कि इस रेल का मकसद आदिवासियों की पहुंच शहरों तक बढाने की है. उसी मकसद पर काम भी किया जाए. क्योंकि 1911 में जो रेल लाईन बनी थी उसका मकसद आदिवासी इलाकों के खनिजों को हासिल करना था.

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