कुछ आदिवासी समुदाय अक्सर सर्दियों में एक जगह छोड़कर अपना जीवन यापन करने के लिए दूसरी जगह जाते हैं. क्योंकि कई इलाकों में ज्यादा बर्फबारी होने के कारण आदिवासी ऐसी जगहों पर खेती-किसानी नहीं कर पाते हैं. ऐसा ज्यादातर जम्मू-कश्मीर के इलाकों में देखा जाता है. यहां पर बड़ी तादाद में आदिवासी सर्दियों में पलायन करते हैं और साथ में अपने पशुओं को भी लेकर जाते हैं.
इन्हीं पशुओं के लिए जम्मू-कश्मीर के राजौरी में 20 से अधिक पशु चिकित्सा फर्स्ड एड कैंप स्थापित किए गए हैं. इन कैंप की स्थापना भेड़ एवं पशुपालन विभाग राजौरी के द्वारा की गई है. जिसमें पीरपंजाल के ऊंचे इलाकों से वापस राजौरी के विभिन्न इलाकों में आने वाली जनजातियों के यात्रा मार्गों पर कैंप बनाए गए हैं.
इसके अलावा प्राथमिक चिकित्सा शिविर राजौरी के देहरा गली, थन्ना मंडी, धारहाल, सैम समित, पोथा सियाल सुई कंडी, बुद्धल और कालाकोट क्षेत्रों में प्रवासी आदिवासी लोगों के मार्ग पर भी स्थापित किए गए हैं.
पशु भेड़ पालन विभाग राजौरी के मुख्य पीपी सधहोत्रा ने कहा है कि पीरपंजाल के ऊंचे इलाकों से राजौरी ज़िले के विभिन्न क्षेत्रों में जाने वाले प्रवासी आदिवासी लोगों के यात्रा मार्गों पर 20 से अधिक पशु चिकित्सा फर्स्ट एड कैंप स्थापित किए है.
उन्होंने यह भी कहा है कि भेड़-बकरियों के लिए दवाओं, टीकाकरण और अन्य उपचारों के साथ-साथ प्राथमिक चिकित्सा शिविरों में पैरा-पशु चिकित्सा कर्मचारियों को भी तैनात किया गया है.
इसके अलावा पशु चिकित्सा विभाग के एक अधिकारी रेश्ता खानुम ने कहा है कि पशु चिकित्सा कर्मचारियों की टीमें प्रवासी आदिवासियों को विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी दे रही है और यह योजनाएं जम्मू-कश्मीर सरकार और भारत सरकार द्वारा शुरू कि गई है.