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आंध्र प्रदेश : नाबालिग आदिवासी लड़की के साथ मारपीट के आरोप में शख्स गिरफ्तार

आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में 38 साल के राजा बाबू को आदिवासी लड़की को मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. आरोपी पर एससी एसटी ऐक्ट और पोक्सो ऐक्ट के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है.

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के कृष्णा ज़िले (krishna District) के के कोथापलेम (K Kothapalem) में 17 वर्षीय आदिवासी लड़की के साथ मारपीट करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस ने मत्थी राजा बाबू (38) के खिलाफ एससी, एसटी एक्ट और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. आरोपी ने आरोप लगाया कि लड़की ने उसके घर से एक जोड़ी सोने की बालियां चुरा लीं, जब उसने अपने घर पर आयोजित एक समारोह के दौरान उसे काम पर रखा था.

दरअसल पिछले शुक्रवार, 20 अक्टूबर को राजू ने आदिवासी युवती को अपने घर के पारिवारिक समारोह में काम काज के लिए नौकरी पर रखा था. फिर उसके एक दिन बाद यानी शनिवार को राजू आदिवासी लड़की के घर में आया और आरोप लगाया की उसने समारोह के दौरान काम करते वक्त सोने के कुंडल चोरी किए हैं.

आरोप प्रत्यारोप के दौरान वे आग बबूला हो उठा और उसने युवती के साथ मार पिटाई शुरू कर दी. इसके बाद वो पीड़िता अपने घर ले गया और वहां भी उसकी पिटाई करने लगा. पुलिस आधिकारी के द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक उसने युवती के पेट में कई बार लात से वार किया और उसके सिर पर भी कई बार मारा.

लड़की ने खून की उल्टियाँ कीं और दया की गुहार लगाई लेकिन फिर भी राजा बाबू ने उस पर हमला करना जारी रखा.

जब पीड़िता की मौसी (कोनती पद्मा) और उसकी दादी (रामनम्मा) राजू के घर गए तो वो बच्ची की हालत देख कर घबरा गए. वो राजू से पीड़िता को छोड़ने की गुहार करने लगे. लेकिन राजू ने पीड़िता के परिवार वालों को भी मारना शुरू कर दिया.

मार पिटाई के बाद वे उसे जबरदस्ती मोपीदेवी पुलिस स्टेशन लेकर गया. जहां युवती के साथ सब-इंस्पेक्टर, सीएच पद्मा ने भी मार पिटाई की थी.

अभी इस मामले में कार्यवाही जारी है. इसी कड़ी में पुलिस ने राजा बाबू पर एससी और एसटी ऐक्ट और पोक्सो ऐक्ट के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है.

जाहिर है आदिवासियो के साथ अत्याचार का ये कोई पहला मामला नहीं है. 2020 के क्राइम रिपोर्ट को देखे तो आंध्र प्रदेश आदिवासियों के साथ अपराध के मामले में आठवें स्थान पर आया था.

हालांकि इस रिपोर्ट के अंतर्गत ये भी बताया गया था की 2019 के मुकाबले 2020 में आदिवासियों के साथ अपराध के मामले कम दर्ज किए गए थे.
इसी तरह में 2019 में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार के 330 केस दर्ज किए थे.

वहीं 2020 में इस आंकड़े में केवल 10 नंबर की कमी हुई यानी साल 2020 और 2019 के अपराधिक मामलों में बेहद अंतर नहीं है. वहीं ध्यान देने वाली बात ये भी है की साल 2020 में कोविड-19 महामारी की भी शुरुआत हुई थी.

जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था, उस वक्त भी इतने केस दर्ज होना आदिवासियों की सुरक्षा पर संदेह और सवाल खड़ा करता है.

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