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मणिपुर आदिवासी संगठन ‘अलग प्रशासन’ के लिए कल 6 राज्यों में करेगा रैली, पुलिस ‘हाई अलर्ट’ पर

रैली के लिए इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम द्वारा अपलोड किए गए एक पोस्टर में कहा गया है कि रैली "मणिपुर में कुकी-ज़ो लोगों के लिए अलग प्रशासन" की मांग के समर्थन में है. पोस्टर में यह भी कहा गया है कि रैली अगरतला, नई दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई में होगी.

जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर (Manipur) में कुकी-ज़ो समुदाय (Kuki-Zo community) के लिए ‘अलग प्रशासन’ की मांग को तेज करने के लिए एक शीर्ष आदिवासी संगठन 29 नवंबर को छह राज्यों में रैलियां आयोजित करेगा.

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने कहा कि रैलियां मणिपुर के आदिवासी इलाकों के अलावा नई दिल्ली, कर्नाटक, मिज़ोरम, तमिलनाडु और त्रिपुरा में एक साथ आयोजित की जाएंगी.

यह निर्णय आइजोल में मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा के साथ मणिपुर के 10 कुकी-ज़ो विधायकों की बैठक के बाद लिया गया.

वहीं हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को इस नियोजित रैली से पहले मणिपुर में पुलिस हाई अलर्ट पर है.

रैली का आयोजन मुख्य रूप से मणिपुर के चुराचांदपुर, कांगपोकपी, फेरज़ॉल और तेंगनौपाल जिलों में किया जाएगा. इन जिलों में अधिकांश दुकानें और व्यवसाय बुधवार को बंद रहेंगे.

रैली के लिए इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम द्वारा अपलोड किए गए एक पोस्टर में कहा गया है कि रैली “मणिपुर में कुकी-ज़ो लोगों के लिए अलग प्रशासन” की मांग के समर्थन में है. पोस्टर में यह भी कहा गया है कि रैली अगरतला, नई दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई में होगी.

संगठन का कहना है कि रैली एक शांतिपूर्ण, मौन मार्च के रूप में होगी. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि पुलिस सतर्क रहेगी और सुरक्षा बलों के साथ मिलकर बफर जोन पर नजर रखेगी.

दरअसल, मैतेई-प्रभुत्व वाली इंफाल घाटी में लौटने में उनकी असमर्थता के कारण कुकी-ज़ो लोगों के लिए ‘अलग प्रशासन’ की मांग उठी.

केंद्र और एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया है क्योंकि इससे राज्य की क्षेत्रीय अखंडता प्रभावित होगी.

ITLF के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह अधिक स्पष्ट हो गया है कि कुकी-ज़ो लोग, जिन्हें अवैध अप्रवासी और नार्को-आतंकवादी जैसे टैग दिए गए हैं, इंफाल घाटी में अवांछित हैं. रैली की योजना मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में एन. बीरेन सिंह को हटाने की मांग के अलावा हमारी मांग को तेज करने के लिए बनाई गई है.”

आदिवासी विधायकों ने मिज़ोरम के सीएम से की मुलाकात

इससे पहले आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग कर रहे मंत्रियों सहित राज्य के 10 आदिवासी विधायकों ने आइजोल में मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा से मुलाकात की और मणिपुर में जातीय संकट को हल करने के लिए उनसे हस्तक्षेप की मांग की.

सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) के अध्यक्ष ज़ोरमथांगा ने कहा कि मंत्रियों सहित मणिपुर के आदिवासी विधायकों ने गुरुवार को आइजोल में उनसे मुलाकात की और पड़ोसी राज्य में मौजूदा जातीय अशांति के संबंध में मणिपुर और नागालैंड में नागा नेताओं के साथ बातचीत करने का अनुरोध किया.

ज़ोरमथांगा ने कहा कि कुकी-ज़ो आदिवासियों से संबंधित मणिपुर के विधायक, मणिपुर में जातीय संघर्ष के इस समय में नागा आदिवासी समुदाय के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि मैंने मणिपुर के आदिवासी विधायकों और मंत्रियों से अनुरोध किया है कि वे केंद्र सरकार के साथ निकट संपर्क रखें और उन्हें बताते रहें कि मणिपुर में वास्तव में क्या हो रहा है.

ज़ोरमथांगा ने दोहराया कि एमएनएफ हमेशा मणिपुर और अन्य पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ म्यांमार, बांग्लादेश और अन्य देशों में जातीय भाई-बहनों के साथ खड़ा है.

उन्होंने आइजोल में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मिज़ोरम दुनिया भर के सभी जातीय मिज़ो लोगों के लिए है.

मिज़ोरम वर्तमान में मणिपुर, म्यांमार, बांग्लादेश के 35 हज़ार से अधिक शरणार्थियों को आश्रय प्रदान कर रहा है. सभी ज़ो जातीय समूह से संबंधित हैं.

(Representative image. Photo: X/@manipur_police)

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