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मणिपुर हिंसा: 10 विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, उनकी चुप्पी पर उठाए सवाल

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज से निराशा जताई है. पार्टियों ने राज्य सरकार से डेटा इकट्ठा करके प्रभावित लोगों के लिए अधिक पुनर्वास पैकेज की मांग की.

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कांग्रेस सहित कुल 10 राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. पत्र में मणिपुर में फैली जातीय हिंसा को हल करने के लिए उनके तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है.

इस हिंसा में अब तक 110 से अधिक लोग मारे गए हैं. जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. हिंसा को देखते हुए राज्य सरकार ने मणिपुर में 25 जून तक इंटरनेट पर रोक बढ़ा दी है.

कांग्रेस समेत 10 विपक्षी दलों ने 19 जून को पीएम मोदी को लिखे पत्र में मणिपुर में हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की बांटो और राज करो की राजनीति को जिम्मेदार ठहराया.

विपक्षी दलों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री को वर्तमान जातीय हिंसा जिम्मेदार बताया है. साथ ही कहा कि अगर राज्य के मुख्यमंत्री ने सही वक्त पर उचित कदम उठाया होता और तत्काल कार्रवाई की होती तो इस हिंसा को टाला जा सकता था.

पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर आलोचना

पत्र में हिंसा को लेकर पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर आलोचना की गई है. साथ ही कहा गया है कि गृहमंत्री के राज्य के दौरे से हालात में कोई फर्क नहीं आया है. पीएम की लगातार चुप्पी मणिपुर को नुकसान पहुंचा रही है और अगर पीएम शांति की अपील करेंगे तो हमें उम्मीद है कि राज्य के हालात में सुधार होगा.

पत्र में कहा गया है कि गोलीबारी को तत्काल बंद किया जाना चाहिए. सभी सशस्त्र समूहों को तुरंत हथियार डालने के लिए कहा जाना चाहिए और पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए.

पत्र में आगे कहा गया है, “एसओओ” के तहत कुकी उग्रवादियों द्वारा “ऑपरेशन के निलंबन” के जमीनी नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

विपक्षी दलों ने कहा कि वे मणिपुर की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खड़े थे और इस तरह कुकी जनजाति से संबंधित दो मंत्रियों सहित दस विधायकों द्वारा कुकी के लिए “अलग प्रशासन” की मांग के खिलाफ थे.

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज से निराशा जताई है. पार्टियों ने राज्य सरकार से डेटा इकट्ठा करके प्रभावित लोगों के लिए अधिक पुनर्वास पैकेज की मांग की.

NH-2 खोलने की मांग

उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 को खोलने की भी मांग की हैय यह मार्ग इंफाल को दीमापुर से जोड़ता है. मणिपुर की जीवन रेखा इंफाल को दीमापुर से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 को 3 मई से राजमार्ग के किनारे रहने वाले कुछ कुकी संगठनों द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है.

पत्र में कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं और अन्य सामानों की आवाजाही पूरी तरह से बाधित हो गई है, जिसके चलते जरूरी वस्तुओं की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है.

अवैध प्रवासियों के राज्य में रोक लगाने की मांग

विपक्षी दलों ने राज्य में अवैध प्रवासियों के आने पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसके लिए मणिपुर-म्यांमार सीमा पर कड़ी निगरानी की जाए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र पर कांग्रेस के अलावा जद (यू), सीपीआई, सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने हस्ताक्षर किए थे.

सरकार को विपक्ष की मांग पर ध्यान देना चाहिए

मणिपुर के संदर्भ में विपक्ष ने लगातार सरकार को आगाह किया है. लेकिन इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी तक कोई पहलकदमी नहीं दिखाई है. यह एक निराशाजनक बात है.

क्योंकि मणिपुर के हालात काफी संगीन दिखाई देते हैं. वहां की स्थानीय सरकार में पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदायों का भरोसा कम हुआ है.

ऐसी सूरत में प्रधानमंत्री अपने प्रभाव और छवि का इस्तेमाल कर राज्य के दो समुदायों के बीच भरोसा बहाली का काम कर सकते हैं.

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