हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur) में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने के बाद जुलाई में लापता हुए दो छात्रों के शव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. तस्वीर वायरल होने के बाद मणिपुर सरकार ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.
घटना के संबंध में मणिपुर सरकार ने एक बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि मामला सामने आने के बाद ही इसे तुरंत CBI को सौंप दिया गया है. सरकार के मुताबिक, इस घटना के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी. साथ ही राज्य सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने की भी अपील की है.
दोनों छात्रों की पहचान 17 साल के हिजाम लिनथोइनगांबी और 20 साल के फिजाम हेमजीत के रूप में की गई है.
सोमवार (25 सितंबर) को जारी एक बयान में कहा गया, “राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि जुलाई, 2023 से लापता दो छात्रों, फिजाम हेमजीत (20 वर्ष) और हिजाम लिन्थोइनगांबी (17 वर्ष) की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं. पता हो कि राज्य के लोगों की इच्छा के अनुसार यह मामला पहले ही सीबीआई को सौंप दिया गया है.”
बयान में आगे कहा गया, “मणिपुर पुलिस केंद्रीय जांच एजेंसियों के सहयोग से दोनों छात्रों के लापता होने की परिस्थितियों का पता लगाने और हत्या करने वाले अपराधियों की पहचान करने के लिए सक्रिय रूप से चांच कर रही है. साथ ही सुरक्षाबलों ने अपराधियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान भी शुरू कर दिया है.”
बयान में कहा गया, “इस संकटपूर्ण स्थिति के जवाब में, सरकार जनता को आश्वासन देती है कि फ़िजाम हेमजीत और हिजाम लिनथोइंगंबी के अपहरण और हत्या में शामिल सभी लोगों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी. सरकार न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार पाए जाने वाले किसी भी अपराधी को कड़ी सजा देगी. सरकार जनता को संयम बरतने और अधिकारियों को जांच करने देने के लिए प्रोत्साहित करती है.”
मणिपुर के हालात
मणिपुर में करीब 5 महीने से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष चल रहा है. यहां आर्थिक लाभ और अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण को लेकर आदिवासी समूहों और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच असहमति के चलते हिंसा शुरू हुई थी.
दरअसल, मणिपुर हाई कोर्ट ने 27 मार्च को एक आदेश जारी किया था. इसमें राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने के लिए कहा गया था. इस आदेश के कारण बड़े पैमाने पर जातीय झड़पें हुईं. इस आदेश के खिलाफ कुकी समुदाय ने 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था. जिसके बाद से राज्य के कई इलाकों में हिंसा शुरू हो गई.
इस हिंसा में अभी तक 170 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए. वहीं 60 हज़ार से ज्यादा लोग अपने घरों को छोड़ विस्थापित हो गए हैं.