HomeAdivasi Dailyमध्य प्रदेश: मीणा समुदाय कर रहा आदिवासी दर्जे की मांग

मध्य प्रदेश: मीणा समुदाय कर रहा आदिवासी दर्जे की मांग

मध्यप्रदेश में चुनाव होने वाला है . इसके बीच मीणा समुदाय कर रहा है आदिवासी दर्जे का मांग , दरअसल कुछ राज्यों में इन्हें अनुसूचित जनजाति में रखा गया है.

राजस्थान की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर मीणा समाज के पदाधिकारियों ने गृहमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा हैं. समाज के पदाधिकारी ने बताया कि देश में एक ही जाति को दो राज्यों में अलग-अलग दर्जा दिया गया है. उन्होंने कहा कि जहां राजस्थान में मीणा समाज को एससी-एसटी में शामिल किया है तो वहीं मध्य प्रदेश में मीणा समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है.

प्रदेश में चुनाव नजदीक आने के बीच मीना समाज सेवा संगठन के जिला अध्यक्ष सत्यनारायण मीना और अन्य सदस्यों ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संबोधित एक नया ज्ञापन दिया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य स्तर पर ज्ञापन भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मीणा समाज को अलग अलग राज्यो में अलग अलग दर्जा दिया है. इसका हम लोग पुरजोर विरोध करते हैं.

अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. मीणा समुदाय की जाति आजादी के पहले से ही मध्य प्रदेश में निवास करने वाली जातियों में से एक है और यह एकमात्र ऐसी जाति है जिसे प्रदेश में अलग से आरक्षण प्राप्त है. मध्य प्रदेश में मीणा समुदाय को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है.
जबकि राजस्थान एवं अन्य राज्यों में मीणा समुदाय को जनजातीय समूह में शामिल किया गया है.

मध्य प्रदेश को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में मीणा समुदाय को आदिवासियों में रखा गया है. जिला अध्यक्ष मीणा ने कहा कि मध्य प्रदेश में मीणा समाज के 45 लाख लोग निवास करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे लड़के-लड़कियों की शादियां राजस्थान और अन्य राज्यों के मीना समुदाय में होती हैं.

मध्य प्रदेश: मीणा समुदाय कर रहा आदिवासी दर्जे की मांग

राजस्थान की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर मीणा समाज के पदाधिकारियों ने गृहमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा हैं. समाज के पदाधिकारी ने बताया कि देश में एक ही जाति को दो राज्यों में अलग-अलग दर्जा दिया गया है. उन्होंने कहा कि जहां राजस्थान में मीणा समाज को एससी-एसटी में शामिल किया है तो वहीं मध्य प्रदेश में मीणा समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है.

प्रदेश में चुनाव नजदीक आने के बीच मीना समाज सेवा संगठन के जिला अध्यक्ष सत्यनारायण मीना और अन्य सदस्यों ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संबोधित एक नया ज्ञापन दिया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य स्तर पर ज्ञापन भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मीणा समाज को अलग अलग राज्यो में अलग अलग दर्जा दिया है. इसका हम लोग पुरजोर विरोध करते हैं.

अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. मीणा समुदाय की जाति आजादी के पहले से ही मध्य प्रदेश में निवास करने वाली जातियों में से एक है और यह एकमात्र ऐसी जाति है जिसे प्रदेश में अलग से आरक्षण प्राप्त है. मध्य प्रदेश में मीणा समुदाय को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है.
जबकि राजस्थान एवं अन्य राज्यों में मीणा समुदाय को जनजातीय समूह में शामिल किया गया है.

मध्य प्रदेश को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में मीणा समुदाय को आदिवासियों में रखा गया है. जिला अध्यक्ष मीणा ने कहा कि मध्य प्रदेश में मीणा समाज के 45 लाख लोग निवास करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे लड़के-लड़कियों की शादियां राजस्थान और अन्य राज्यों के मीना समुदाय में होती हैं.

कौन है मीणा समुदाय

मीणा भारत के प्राचीन जनजातियों में से एक है. 2011 की जनगणना के मुताबिक पूरे देश में मीणा समुदाय की आबादी 50 लाख से भी ज्यादा है. जनजाति समुदायों में राजस्थान में जनसंख्या के आधार पर ‘मीणा’ सबसे बड़ी जनजाति है. राजस्थान में मीणाओं की जनसंख्या 45 लाख से अधिक है. इसके अलावा मीणा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और देश के अलग-अलग राज्यों में निवास करते हैं. इनकी भाषा हिंदी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, हाड़ौती, मेवाती, मावली, भीली है.

मध्य प्रदेश में विदिशा के सिरोंज क्षेत्र में मीणा जाति पहले अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल थे. जिसे 2003 में अनुसूचित जनजाति से हटाकर सामान्य वर्ग में शामिल किया गया.

45 लाख से अधिक है. इसके अलावा मीणा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और देश के अलग-अलग राज्यों में निवास करते हैं. इनकी भाषा हिंदी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, हाड़ौती, मेवाती, मावली, भीली है.

मध्य प्रदेश में विदिशा के सिरोंज क्षेत्र में मीणा जाति पहले अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल थे. जिसे 2003 में अनुसूचित जनजाति से हटाकर सामान्य वर्ग में शामिल किया गया.

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