राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने बार-बार सम्मन किए जाने के बावजूद उसके सामने पेश न होने पर ओडिशा के क्योंझर जिला कलेक्टर के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है.
ओडिशा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुनील कुमार बंसल को भेजे एक खत में, एनसीएसटी ने कहा है कि क्योंझर के जिला कलेक्टर आशीष ठाकरे को कई बार सम्मन दिया गया था, लेकिन वह आयोग के सामने पेश नहीं हुए.
आयोग ने कलेक्टर आशीष ठाकरे के 4 अप्रैल को उसके सामने पेश होने में विफल रहने पर कड़ी आपत्ति जताई.
डीजीपी को भेजे गई चिट्ठी में कहा गया है, “एनसीएसटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 338ए के खंड (8) के तहत सिविल कोर्ट की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आपको गिरफ्तार करने, और नई दिल्ली में एनसीएसटी के समक्ष आशीष ठाकरे को लाने का आदेश देता है.”
मामला क्योंझर जिले के गंधमर्दन में ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन (ओएमसी) द्वारा संचालित दो खदानों में आधुनिक मशीनरी के इस्तेमाल की शुरूआत के बाद नौकरी खोने वाले आदिवासी दैनिक मज़दूरों से जुड़ा है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे क्योंझर के बंसपाल और सदर ब्लॉक के कुमुंडी, तालाकैसरी, सुकाती और महादेइजोडा ग्रामपंचायतों के विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूहों से हैं. सालों से इन आदिवासी मजदूरों को ओएमसी द्वारा संचालित खदानों की खनन गतिविधियों में रोजगार मिल रहा था.
याचिकाकर्ताओं में से एक, खगेश्वर पूर्ति ने कहा कि हालांकि ओएमसी ने अपनी आयरन ओर अयस्क उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है, लेकिन इस खनन से प्रभावित होने वाले गांवों के दायरे के बढ़ने के बावजूद इसे संशोधित नहीं किया है. आयरन ओर के खनन से इलाक़े के जंगलों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे इन आदिवासियों की आजीविका प्रभावित हुई है.
पूर्ति का कहना है कि आजीविका के नुकसान की भरपाई के लिए, इलाक़े के बेरोजगार आदिवासी युवाओं को खनन के काम में शामिल करने के लिए गंधमर्दन लोडिंग एजेंसी और ट्रांसपोर्टिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड का गठन किया गया था. हालांकि, जिला प्रशासन के समर्थन से इलाके के कुछ प्रभावशाली लोगों ने आदिवासियों को हर फ़ायदे से वंचित कर दिया.
कई याचिकाओं के आधार पर, क्योंझर के पूर्व सांसद और एनसीएसटी के सदस्य ने इलाक़े का दौरा किया और आदिवासियों के आरोपों में सच्चाई पाई.
एक आरोप यह भी है कि एनसीएसटी में शिकायत दर्ज करने के लिए खगेश्वर पूर्ति को क्योंझर पुलिस ने कुछ ‘मनगढ़ंत’ मामलों में गिरफ्तार किया. जमानत पर रिहा होने से पहले उन्हें चार महीने जेल में काटने पड़े.
याचिकाकर्ताओं में से एक का यह भी आरोप है कि खान निदेशक समेत ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों ने एनसीएसटी के सम्मन का जवाब दिया था, लेकिन क्योंझर जिला कलेक्टर आयोग के सामने पेश नहीं हुए.