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ओडिशा के आदिवासियों ने सामुदायिक वन क्षेत्र में अवैध खनन सर्वेक्षण का लगाया आरोप, केंद्र से कार्रवाई की मांग की

ग्राम सभा ने सरकार और विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर बिना सरकारी सूचना के गांव में आकर आदिवासियों पर दबाव बनाने और धमकी देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की स्वतंत्र जांच की मांग की है.

ओडिशा (Odisha) के लामेर ग्राम सभा (Lamer Gram Sabha) के आदिवासियों ने ओडिशा खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड (OMECL) द्वारा कथित तौर पर अवैध खदान अन्वेषण सर्वेक्षण (Illegal mine exploration survey) पर केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग की है.

कालाहांडी स्थित ग्राम सभा के सचिव बिनोद माझी द्वारा 21 नवंबर को दायर एक याचिका में आरोप लगाया गया कि रामपुर पुलिस विभाग, प्रशासन और खदान सचिव के 200 से अधिक अधिकारी बिना किसी सरकारी आदेश या पूर्व सूचना के लामेर सामुदायिक वन क्षेत्र में प्रवेश किया और ग्रामीणों को खदान अन्वेषण सर्वेक्षण के बारे में सूचित किया.

माझी ने कहा कि अधिकारियों ने 19 अगस्त को ग्रामीणों से संपर्क किया लेकिन उन्हें सामुदायिक वन क्षेत्र में प्रवेश से मना कर दिया गया. उन्होंने कहा, “उन्होंने सद्भावना अर्जित करने के लिए कंबल भी बांटे लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें सीधे तौर पर प्रवेश से मना कर दिया.”

उन्होंने कहा कि तीखी बहस के बाद अधिकारियों को प्रवेश से मना कर दिया गया. जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने फिर से आने की बात कही और सर्वेक्षण जारी रखने की धमकी दी.

माझी ने आरोप लगाया कि भारी मशीनरी, खनन सर्वेक्षण उपकरण और वाहनों को बिना अनुमति के वन क्षेत्र में ले जाया गया.

कालाहांडी जिले के मदनपुर रामपुर ब्लॉक के बरबंधा ग्राम पंचायत के अंतर्गत लामेर ग्राम सभा को वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के प्रावधानों के तहत 2010 में सामुदायिक वन अधिकार प्राप्त हुए हैं.

एफआरए की धारा 5 लैमर ग्राम सभा को वन्यजीव, वन और जैव विविधता की रक्षा करने का अधिकार देती है. प्रावधान निवासियों को आसपास के जलग्रहण क्षेत्रों, जल स्रोतों और अन्य पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करने का अधिकार देते हैं.

यह ग्राम सभा को सामुदायिक वन संसाधनों तक पहुंच को विनियमित करने और जंगली जानवरों, जंगल और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली किसी भी गतिविधि को रोकने का भी अधिकार देता है.

भारत के राष्ट्रपति और अन्य सरकारी कार्यालयों को एक लिखित पत्र में माझी ने कहा कि ग्राम सभा ने तब से बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा वन क्षेत्र पर अतिक्रमण और जंगल को नष्ट करने की अवैध गतिविधियों के बारे में पत्र भेजा है और आवश्यक कार्रवाई की मांग की है.

उन्होंने कहा कि लेकिन अभी तक ओडिशा के खान सचिव, वन अधिकारियों और प्रशासनिक एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है.

ग्राम सभा ने सरकार और विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर बिना सरकारी सूचना के गांव में आकर आदिवासियों पर दबाव बनाने और धमकी देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की स्वतंत्र जांच की मांग की है.

पत्र में कहा गया है, “हम उत्तर वन प्रभाग कालाहांडी द्वारा जारी परमिट को तत्काल वापस लेने/रद्द करने और सामुदायिक वन संसाधनों को हुए नुकसान का आकलन करने और ग्राम सभा को मुआवजे के भुगतान की व्यवस्था करने की मांग करते हैं.”

इसके जवाब में भारत के राष्ट्रपति कार्यालय ने 9 नवंबर को इस संबंध में उचित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है.

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