राजस्थान में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 200 में से 199 निर्वाचन क्षेत्रों में आज सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो गया है. प्रदेशभर में एक साथ हो रहा मतदान शाम 6 बजे तक जारी रहेगा. यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है. चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.
वोटिंग से पहले सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने जनता को जो गारंटियां दी है और जो विकास किया पिछले 5 सालों में, जनता उसको देखते हुए हमारी सरकार को दोबारा चुनेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोटरों से रिकार्ड बनाने की अपील करते हुए अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया, “राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए आज वोट डाले जाएंगे. सभी मतदाताओं से मेरा निवेदन है कि वे अधिक से अधिक संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग कर वोटिंग का नया रिकॉर्ड बनाएं. इस अवसर पर पहली बार वोट देने जा रहे राज्य के सभी युवा साथियों को मेरी ढेरों शुभकामनाएं.”
राज्य में 5 करोड़ 26 लाख 90 हजार 146 मतदाता
राजस्थान में कुल 1862 उम्मीदवार मैदान में हैं. वहीं कुल 5 करोड़ 26 लाख 90 हजार 146 मतदाता हैं जो विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. करीब 5.27 करोड़ मतदाताओं में 18 से 30 साल की आयु वर्ग के 1 करोड़ 70 लाख 99 हज़ार 334 मतदाता शामिल हैं. वहीं 22 लाख 61 हजार 8 युवा मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार अपने मतदान का प्रयोग करेंगे. इनकी उम्र 18 से 19 वर्ष के बीच है.
चुनावी मैदान में दिग्गज उम्मीदवार
सत्तारूढ़ कांग्रेस की ओर से इस बार भी अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे नेताओं में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, सालेह मोहम्मद, ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र यादव, शकुंतला रावत, उदय लाल आंजना, महेंद्रजीत सिंह मालवीय और अशोक चांदना व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल हैं.
वहीं बीजेपी के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया और सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, बाबा बालकनाथ व किरोड़ी लाल मीणा मैदान हैं.
215 मौजूदा विधायकों को टिकट
बीजेपी ने कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा छह सांसदों और एक राज्यसभा सदस्य सहित 59 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने सात निर्दलीय विधायकों और एक बीजेपी विधायक-शोभारानी कुशवाह, जिन्हें पिछले साल बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था, सहित 97 विधायकों को मैदान में उतारा है.
राजस्थान में आदिवासी मतदाता
राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में से 25 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है. राजस्थान के 8 जिलों में रहने वाली अनुसूचित जनजाति की संख्या 45.51 लाख है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो आंकड़े साफ इशारा करते हैं कि जिस दल ने आदिवासी सीटों पर कब्जा जमाया है राजस्थान में उसी पार्टी की सरकार बनी है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में जाति फैक्टर हमेशा से हावी रहा है. यहां वैसे तो जाट और मीणा वोट बैंक सबसे अहम हैं, लेकिन दक्षिणी राजस्थान की कुछ विधानसभा सीटों पर आदिवासियों का दबदबा है. यही वजह है कि पिछले कुछ चुनाव से राजनीतिक दलों ने अब इन पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है. इस बार के चुनाव में इस इलाके में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है.
यहां आदिवासी बहुल वागड़ में नवगठित भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी सीटों को हासिल करने की होड़ में है. जबकि बीजेपी और कांग्रेस भी आदिवासी वोट बैंक को साधने की हर संभव कोशिश की है. बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने डूंगरपुर में जनसभा के दौरान आदिवासी वोटरों को रिझाने की तमाम कोशिशें कीं.
वागड़ में बड़े पैमाने पर प्रतापगढ़, डूंगरपुर बांसवाड़ा और उदयपुर जिलों के कुछ हिस्से शामिल हैं. इस क्षेत्र में विधानसभा की कुल 15 सीटें आती हैं. 2013 तक इन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही टक्कर होती थी.
हालांकि धीरे-धीरे यहां लोगों में असंतोष दिखाई देने लगा और आदिवासियों को लगा कि कोई भी दल ठीक से उनके हितों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है. इसके बाद आदिवासी परिवार नामक एक संगठन सामने आया और उसने राजनीतिक कदम उठाने का फैसला किया.
गुजरात स्थित छोटूभाई वसावा की पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) 2018 में आदिवासी परिवार के लिए राजनीतिक माध्यम बन गई और उसने चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस क्षेत्र में इस पार्टी को दो सीटें भी मिल गईं.
हालांकि मतभेदों की वजह से भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) का गठन हुआ और दोनों विधायक राजकुमार रोत (चौरासी विधायक) और राम प्रसाद डिंडोर (सागवाड़ा) इसमें शामिल हो गए.
अब इस क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस से अलग बीएपी और बीटीपी भी रेस में हैं. डूंगरपुर के कई लोगों का मानना है कि बीएपी की आदिवासी वोटरों के बीच अच्छी पकड़ है. यह पार्टी सिर्फ आदिवासियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ही बात कर रही है.