HomeAdivasi Dailyतमिलनाडु: CPI(M) ने 'अनुसूचित जाति, जनजाति का सुरक्षा' सम्मेलन आयोजित किया

तमिलनाडु: CPI(M) ने ‘अनुसूचित जाति, जनजाति का सुरक्षा’ सम्मेलन आयोजित किया

सम्मेलन ने कहा कि केंद्र सरकार लोगों को विभाजित करने के लिए जाति और धर्म का इस्तेमाल करके कॉरपोरेट टाइकून को बचाने का काम कर रही है. इसके विपरीत लोगों को अपनी आजीविका बचाने के लिए एक साथ लड़ना चाहिए.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (Communist Party of India) 4 जून से तमिलनाडु में एक खा़स अभियान शुरू कर रही है. इस अभियान के नारे तभी बेहद ख़ास दिये गए हैं, मसलन “सामाजिक उत्पीड़न समाप्त करें, जातिगत भेदभाव को त्यागें, तमिलनाडु को धर्मनिरपेक्ष बनाएं.”

सीपीआई (एम) ने 16 मार्च को विल्लुपुरम में आयोजित आदिवासियों और दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक बहुदलीय सम्मेलन में इसकी घोषणा की थी.

सम्मेलन ने जाति-आधारित उत्पीड़न को खत्म करने और जातिविहीन, समतावादी समाज बनाने का आह्वान किया.

इस सम्मेलन में कहा गया कि मज़दूरों के अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की एकता कायम करने की ज़रूरत है.

इन लोगों को संगठित ना होने देने के पीछे का कराण है कि जातिवादी ताकतें इनके बीच की छोटी-छोटी समस्याओं को बड़े दंगों में बदलना चाहती हैं.

तमिलनाडु में बीजेपी-आरएसएस के संगठन इन ताकतों को बढ़ावा दे रहे हैं.

सम्मेलन ने आगे कहा कि केंद्र सरकार लोगों को विभाजित करने के लिए जाति और धर्म का इस्तेमाल करके कॉरपोरेट टाइकूनों को बचाने का काम कर रही है. इसके विपरीत लोगों को अपनी आजीविका बचाने के लिए एक साथ लड़ना चाहिए.

सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके नेता और तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव के बालाकृष्णन, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष केएस अलागिरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य संयुक्त सचिव एम वीरापांडियन ने सभा को संबोधित किया.

येचुरी ने कहा, “अगर संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और लोगों के अधिकारों को संरक्षित करना है तो भाजपा को फिर से सत्ता में आने से रोकना जरूरी है. हमारी गतिविधियों को उसी के अनुरूप बनाया जाएगा.”

सम्मेलन में राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. मंत्री डी रविकुमार (विदुथलाई चिरुथिगल काची), एम सेंथिलथिपन (मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम), विधायक टी वेलमुरुगन (तमिझागा वझवुरिमई काची) और दुरई चंद्रशेखरन (द्रविड़ कज़गम) सहित अन्य लोगों ने सभा को संबोधित किया.

भूमि का अधिकार

भूमि के संबंध में सम्मेलन ने कहा कि पंचमी भूमि को दोबारा प्राप्त कर दलितों को सौंप दिया जाना चाहिए.

विभिन्न प्रकार की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को भू-स्वामित्व प्रदान करने के साथ-साथ लैंड सीलिंग अधिनियम को ठीक से लागू किया जाना चाहिए और गरीबों के सभी भूमिहीन वर्गों को वह भूमि दी जानी चाहिए जिसकी उन्होंने मांग की थी.

इसके अलावा किसानों को खेती के तहत भूमि के लिए लैंड डीड प्रदान किया जाना चाहिए.

रोजगार में वृद्धि

रोजगार और रोजगार के अवसरों पर सम्मेलन में कहा गया कि जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप नई नौकरियां सृजित की जानी चाहिए.

इसने मांग की कि संघ, राज्य और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए. इसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पदों के बैकलॉग को तुरंत भरने पर जोर दिया.

सम्मेलन में आग्रह किया गया कि निजी क्षेत्र में आरक्षण देने के लिए भी कानून बनाया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार को मनरेगा के लिए जरूरी धन आवंटित करना चाहिए और कानून के मुताबिक प्रत्येक परिवार को 200 दिनों के रोजगार/वर्ष की गारंटी दी जानी चाहिए. इसके अलावा रोजगार गारंटी योजना का विस्तार शहरी क्षेत्रों में भी किया जाना चाहिए.

इसके अलावा सीपीआई (एम) ने खेतिहर मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर 600 रुपये प्रतिदिन करने और इसे सख्ती से लागू करने की मांग की. दलित ईसाइयों को एससी सूची में शामिल किया जाना चाहिए.

अत्याचारों से लड़ो

सम्मेलन ने छुआछुत पर अत्याचार को खत्म करने के लिए अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 को सख्ती से लागू करने को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया और मांग की कि विशेष अदालतें अधिनियम को लागू करें.

प्रस्ताव के हिस्से के रूप में सम्मेलन ने मांग की कि जाति-आधारित, अंधाधुंध हत्याओं और अपराधों को रोकने के लिए एक अलग कानून बनाया जाए.

सम्मेलन ने जोर देकर कहा कि अगर मैला ढोने की भेदभावपूर्ण प्रथा को खत्म करना है तो स्वच्छता क्षेत्र को आधुनिक बनाने की जरूरत है. साथ ही कहा कि अन्य देशों की तरह उच्च शिक्षा में सेनेटरी इंजीनियरिंग विभागों का निर्माण किया जाना चाहिए.

सम्मेलन ने मांग की कि केंद्र और राज्य को संबंधित राज्य की दलित-आदिवासी आबादी के मुताबिक उप-परियोजनाओं के लिए धन आवंटित करना चाहिए. इस तरह निर्धारित धन सिर्फ दलितों और आदिवासियों के विकास के लिए खर्च किया जाना चाहिए. तमिलनाडु सरकार को इस उद्देश्य के लिए एक अलग कानून बनाने की घोषणा को तुरंत लागू किया जाना चाहिए.  

इसके अलावा सीपीआई(एम) ने 2006 के वन अधिकार अधिनियम के जोरदार कार्यान्वयन के लिए लड़ने का संकल्प लिया. अन्य प्रस्तावों में सम्मेलन ने इस बात पर जोर दिया कि जाति विज्ञान विरोधी है और इस विचार को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए.

Image courtesy: CPIM(M), Tamil Nadu

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