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गोवा में आदिवासियों के राजनीतिक आरक्षण की मांग को बल मिला, आदिवासी एकता परिषद ने समर्थन दिया

रविवार को आदिवासी एकता परिषद ने गोवा में आदिवासियों की लंबे समय से चल रही मांग के समर्थन में ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में उन्होंने गोवा की अनुसूचित जनजाति को राजनीतिक आरक्षण लागू करने की मांग के साथ और भी कई मांगे की है.

आदिवासी एकता परिषद जो अनुसूचित जनजातियों का राष्ट्रीय स्तर संगठन है, उन्होंने रविवार को गोवा की अनुसूचित जनजातियों के लिए मिशन पॉलिटिकल रिज़र्वेशन के मुद्दे पर अपना समर्थन दिया है.

मिशन पॉलिटिकल रिज़र्वेशन (Mission Political Reservation) ने पहले ही अपने निर्णय की घोषणा कर दी है कि वह अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए सदन में सीटे आरक्षित करने की अपनी मांग पर दबाव बनाने के लिए 5 फरवरी को विधानसभा तक मार्च करेंगे.

इसके साथ ही रविवार को मिशन पॉलिटिकल रिज़र्वेशन ने एक ज्ञापन (Memorandum) में आदिवासी एकता परिषद का साथ देने की मांग की है.

आदिवासी एकता परिषद के अशोक चौधरी ने बताया उम्मीद है कि राज्य और केंद्र सरकार अनुसूचित जनजातियों की राजनीतिक आरक्षण की मांग को जल्द से जल्द पूरा करेंगी ताकि आदिवासी समुदाय के बीच शांति रहे.

इसके अलावा मिशन पॉलिटिकल रिज़र्वेशन ने अनुसूचित जनजातियों के बारे में बात करते हुए कहा है कि गोवा सरकार गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के लिए एक प्रत्यायोजन को दिल्ली ले जाने में विफल रहे है, जैसा कि पिछले साल सदन में सीएम ने आश्वासन दिया था.

मिशन के अध्यक्ष एडवोकेट जॉन फर्नांडीस (Mission president Advocate John Fernandes) ने बताया कि 21 जुलाई 2023 को पिछले विधानसभा सत्र के दौरान विधायक गणेश गांवकर (MLA Ganesh Gaonkar) ने विधानसभा में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए सीटों के आरक्षण के लिए एक निजी सदस्य का प्रस्ताव पेश किया था, जिसे अपना लिया गया था.

उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पारित होने के छह महीने बाद भी सरकार इसे पूरा करने के लिए कोई कदम उठाने में असफल रही है.

मिशन पॉलिटिकल रिजर्वेशन के गोविंद शिरोडकर (Govind Shirodkar) ने कहा कि 30 दिसंबर 2023 को उन्होंने स्पीकर को अल्टीमेटम दिया था अगर वह इस प्रस्ताव को लागू नहीं करते है तो अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग उनके घर तक मार्च करेंगे.

उन्होंने बताया कि अल्टीमेटम देने के बाद भी स्पीकर और सरकार ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया.

आदिवासी एकता परिषद ने जो ज्ञापन सौंपा है कि गोवा की अनुसूचित जनजातियों के लिए राजनीतिक आरक्षण मिले वो संविधान के अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 के अंतर्गत मांग कि गई है.

ज्ञापन में कहा गया है अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 के तहत सीटों का आरक्षण पांचवीं अनुसूची क्षेत्र घोषित करने के लिए आदिवासी भूमि की सुरक्षा, वन अधिकार अधिनियम, 2006 के कार्यान्वयन, जल निकायों (जल, जंगल जमीन) की सुरक्षा, उपयोग जैसे लंबे समय से लंबित मुद्दों को संबोधित करने के साथ ही टीएसपी फंड, रोजगार और शिक्षा में सीटों का आरक्षण, बैकलॉग रिक्तियों को भरना, जनजाति सलाहकार परिषद का गठन, एसटी समुदाय को अत्याचारों से बचाना, हमारी समृद्ध विरासत और संस्कृति की रक्षा करना, गोवा के एसटी समुदाय का समग्र विकास और एसटी का प्रतिनिधित्व करना शामिल है.

मिशन पॉलिटिकल रिज़र्वेशन ने बताया कि 20 साल बाद भी अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग गोवा में राजनीतिक आरक्षण से वंचित है.

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