HomeAdivasi Dailyतिरुवनंतपुरम: कोट्टूर के आदिवासियों की जीवन स्थिति में सुधार बेहद जरूरी

तिरुवनंतपुरम: कोट्टूर के आदिवासियों की जीवन स्थिति में सुधार बेहद जरूरी

सतीदेवी बताती है की यह आदिवासी इलाकें अन्य आदिवासी इलाकों की तरह मुख्यधारा से बेहद दूर है. इसके साथ ही यहां रहने वाले आदिवासी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.


रविवार को केरल महिला आयोग की अध्यक्ष पी. सतीदेवी (Kerala women’s commission P. Sathidevi) कुट्टीचल ग्राम पंचायत के आदिवासी इलाकों का दौरा करने गई थी. जिसके बाद उन्हें यहां के आदिवासी समुदायों की कई परेशानियों के बारे में पता चला है.

सतीदेवी ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वे इन इलाकों में जल्द से जल्द सुधार करें.

उन्होंने बताया कि अन्य ज़िलों के विपरीत कोट्टूर आदिवासी क्षेत्र शहरी क्षेत्रों से अलग है. इसके साथ ही ये कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.

इसके अलावा यहां के आदिवासी आज भी खेती-किसानी के लिए प्राचीन तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों से परिचित कराने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण की जरूरत है. इस क्षेत्र में ज्यादातर आदिवासी किसान रबर, काली मिर्च, हल्दी और सुपारी की खेती ही करते हैं.

इन्हें आधुनिक तकनीकों से अवगत करवाना बेहद जरूरी है क्योंकि यहां रहने वाले ज्यादातर आदिवासी जीवन यापन के लिए खेती-किसानी पर निर्भर हैं.

इसके अलावा सतीदेवी ने एक ऐसी प्रणाली बनाने का आग्रह किया है, जिसमें ये आदिवासी बिना शोषण झेले अपने उत्पादों को उचित दाम पर बेच सके.

आदिवासी बच्चों का शिक्षा बीच में छोड़ना

सतीदेवी ने अपने इस दौरे के दौरान ये भी देखा कि इस इलाके के आदिवासी छात्र-छात्राएं उच्च माध्यामिक शिक्षा पूरी करने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं. जिसके पीछे कई कारण है.

जिनमें से मुख्य कारण ये बताया जा रहा है की यहां पर उच्च शिक्षा के लिए कक्षा और शिक्षक मौजूद नहीं है.

सतीदेवी ने सरकार से ये आग्रह किया कि वे इन्हें जल्द से जल्द शिक्षक और कक्षा उपलब्ध करवाएं.

वहीं यहां रहने वाले आदिवासी छात्र-छात्राओं ने बताया कि ये सभी पीएससी परिक्षा के लिए ट्रेनिंग नहीं ले पाते है क्योंकि यहां मौजूद ट्रेनिंग सेंटर बेहद दूर है.

पेंशन में रूकावट
कोट्टूर में रहने वाले बुर्जुग आदिवासी अब पेंशन लेने दूरदराज के दफ्तरों में नहीं जा पाते हैं. इसलिए इन्हें वृद्धावस्था पेंशन पहुंचाने के लिए होम डिलीवरी की व्यवस्था स्थापित करने की भी आवश्यकता है.

सतीदेवी ने ये भी सुझाव दिया है कि कैंसर के मरीजों के लिए पेंशन योजना और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आदिवासियों को दिलाने के लिए पंचायत और अनुसूचित जनजाति विकास विभाग को जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए.

इसके अलावा यहां रहने वाले कई आदिवासियों के पास जन्म प्रमाण पत्र तक मौजूद नहीं है.

सतीदेवी ने इलाके का दौरा करने के दौरान कैंसर से पीड़ित लोगों, मानसिक समस्याओं से जूझने वाले लोगों और विधवाओं से मुलाकात की थी और ये पता लगाने की कोशिश की क्या उन्हें इलाज, राशन, नौकरी की गारंटी योजना, घर की स्थिति, विभिन्न लाभ और पेंशन मिल रही है या नहीं.

सतीदेवी ने कहा कि कोट्टूर में आदिवासी क्षेत्र के विकास और कल्याण कार्यो के लिए सरकार का हस्तक्षेप करना बेहद जरूरी है.

अपने इस दौरे के अलावा वो यहां मन्नमकोणम सामुदायिक भवन में एकत्र हुए विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक का उद्घाटन करने आई थी.

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