HomeAdivasi Dailyतमिलनाडु: पचमलाई में आदिवासी आजीविका और पर्यटन विकास परियोजना का प्रस्ताव

तमिलनाडु: पचमलाई में आदिवासी आजीविका और पर्यटन विकास परियोजना का प्रस्ताव

पर्यटन विभाग ने तमिलनाडु के पचमलाई में आदिवासी आजीविका और पर्यटन विकास परियोजना का प्रस्ताव दिया है. जिसका उद्देश्य आदिवासियों को आजीविका देने के लिए और पचामलाई की पहाड़ों को जैव विविधता का संरक्षण करना है.

आज भी ज्यादातर आदिवासी समुदाय अपना जीवन यापन के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं. साथ ही ये लोग मांस, मछली और सब्जियां खाकर अपना गुज़ारा करते हैं. ये लोग अलग-अलग तरह की प्रथाओं को मानते हैं और प्रकृती की पूजा अर्चना करते है.

कई बार आदिवासी यह नहीं चाहते हैं या यह कहे की इन्हें पंसद नहीं हैं कि बाहर के लोग इनके बीच आ कर रहे और इनके साथ घुले-मिले. लेकिन पर्यटन विभाग (Tourism Department) ने आदिवासियों को पर्यटन के जरिए आजीविका दिलाने और तमिलनाडु के पचामलाई को पर्यावरण के अनुकूल रखने के लिए परियोजना का प्रस्ताव रखा है. पर्यावरण विभाग ने इस परियोजना का नाम आदिवासी आजीविका और पर्यावरण-पर्यटन रखा है.

क्या है आदिवासी आजीविका और पर्यावरण-पर्यटन परियोजना

इस परियोजना को शुरू करने के लिए पर्यटन विभाग ने प्रस्ताव रखा है. जिसके अंतर्गत मंगलम जलप्रपात (Mangalam Falls) में एक चेंज रूम, एक सेनेटरी कॉम्प्लेक्स, एक व्यू टावर बनाए जाने की बात कहीं जा रही है.

इसके साथ ही कोरायार जलप्रपात (Koraiyar Falls) में इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सुरक्षा रेल, एक पत्थर का रास्ता, एक ड्रेस चेंजिंग रूम, शौचालय और एक क्लॉकरूम बनाए जाने का दावा किया गया है.

इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है की इस परियोजना के अंतर्गत पचमलाई पहाड़ियों (Pachamalai hills) के टॉप सेंगट्टुपट्टी (Sengattupatti) में तीन लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्ग हैं. जिन तक पहुंचने के लिए कम से कम सात किलोमीटर का ट्रैकिंग करना पड़ता है.

लेकिन इस ट्रैकिंग के रास्ते में बड़ी हो गई झाड़ियों और पौधों के कारण लोगों को ट्रैक का रास्ता तय करने में दिक्कत होती है. जिसके लिए पर्यटन विभाग ने ट्रैकिंग रूटों को दोबारा से बनाने की बात कही है.

वैसे यह सारी सुविधा देने के पिछे एक कारण और ये भी है कि यहां के लोगों के पास यह सारी सुविधाएं नहीं है.

जैसे की मंगलम जलप्रपात (Mangalam Falls) सलेम ज़िले (Salem district) से निकलता है, तिरुचि ज़िले (Tiruchi district) में बहता है और पेरम्बलुर ज़िले (Perambalur district) के एट्टुएरुमैपल्लम (Ettuerumaipallam) में समाप्त होने के साथ-साथ सिंचाई का स्रोत बनकर यहां बहती है और कोरैयार जलप्रपात में शुरु होकर तिरुचि ज़िले में समाप्त होता है. यह दोनों जगहें पर्यटकों को आकर्षित कर सकती है.

हालांकि, आदिवासियों के पास बुनियादी जानकारी और पर्यटकों के लिए सुरक्षित स्नान सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचा एंव सुविधाओं की जानकारी नहीं है.

परियोजना का बजट

इस परियोजना में पर्यटन विभाग ने पचमलाई के कोरैयार फॉल्स और मंगलम फॉल्स में आने वाले लोगों के लिए बुनियादी ढांचा और सुरक्षा तैयार करने का दावा किया है. इसके साथ ही इस परियोजना के लिए 4.28 करोड़ रुपयें की रकम का प्रस्ताव रखा गया है. जो की तमिलनाडु इनोवेटिव इनिशिएटिव (TNII) के तहत प्राप्त किया जाएगा.

परियोजना का लाभ

पर्यटन विभाग ने इस परियोजना का प्रस्ताव आदिवासियों को आजीविका देने के लिए और पचामलाई की पहाड़ों को जैव विविधता का संरक्षण करने के उद्देश्य से रखा है.

इसके साथ ही वह पचामलाई को पर्यटकों के लिए हॉटस्पॉट बनाना चाहते है ताकि लोग यहां की पहाड़ियों और यहां के सुदंर झरने को देख सके.

बेसक इस परियोजना का प्रस्ताव आदिवासियों और पचालाई को पर्यटन स्थल बनाने के लिहाज से अच्छा हो. लेकिन कहीं ऐसा न हो की इस परियोजना से आदिवासियों की जीवन शैली पर कोई असर पड़े.

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