HomeAdivasi DailyUCC के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन करेंगे आदिवासी

UCC के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन करेंगे आदिवासी

UCC लागू होने से सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा. ऐसे में आदिवासियों को डर है कि इससे उनकी परंपराओं को खत्म कर दिया जाएगा. अलग-अलग आदिवासी समुदायों में अलग-अलग परंपराएं हैं.

यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) के विरोध में अब आदिवासियों ने मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है. अलग-अलग आदिवासी संगठन 6 अक्टूबर को दिल्ली में जुटेंगे. आदिवासी समन्वय समिति, आदिवासी महासभा, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद और आदिवासी जन परिषद की ओर से संयुक्त रूप से इसकी जानकारी दी गई.

इस दौरान आदिवासियों ने एक सुर में कहा कि केंद्र सरकार आदिवासियों के अस्तित्व को UCC के जरिए खत्म करना चाहती है. उन्होंने कहा कि वो UCC का विरोध जारी रखेंगे.

यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है. आसान भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए कानून एक समान होगा.

यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है. इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे.

यह मुद्दा एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस का केंद्र बना हुआ है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए प्राथमिकता का एजेंडा रहा है.

भाजपा 2014 में सरकार बनने से ही UCC को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है. अब 2024 लोकसभा चुनाव आने से पहले इस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है.

भाजपा सत्ता में आने के बाद UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा था.

वैसे तो UCC को लेकर पूरे देश में अलग-अलग मत है लेकिन सवाल उठता है कि आदिवासी समाज इसके इतने खिलाफ क्यों है?

UCC लागू होने से सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा. ऐसे में आदिवासियों को डर है कि इससे उनकी परंपराओं को खत्म कर दिया जाएगा. अलग-अलग आदिवासी समुदायों में अलग-अलग परंपराएं हैं. जैसे कि आदिवासी समाज में पुरुष कई महिलाओं से शादी कर सकते हैं. कहीं-कहीं एक महिला के कई पुरुषों से शादी का भी रिवाज है. कुछ आदिवासी समाज मातृसत्तात्मक है.

आदिवासी समाज का मानना है कि UCC आने से उनकी परंपराएं खत्म हो सकती हैं. यही वजह है कि आदिवासी समुदाय इसका विरोध कर रहे हैं.

वहीं समान नागरिक संहिता को लेकर विपक्ष बीजेपी पर शुरू से ही हमलावर नज़र आ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह विपक्ष की चुनावी रणनीति है.

लोकसभा की 543 सीटों में से 62 सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है. इसके अलावा लोकसभा की 47 सीटें ST यानी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. एसटी के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 31 सीटें अपने नाम की थी.

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