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मध्यप्रदेश: गोंड रानी दुर्गावती फिर से आई सियासत के केन्द्र में

देश की सबसे बड़ी आदिवासी आबादी मध्य प्रदेश में है और यहां विधानसभा चुनाव होने वाला है. ऐसे में बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस आदिवासी वोटरों को रिझाने में लगे हैं. क्योंकि यहां 84 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासी वोटर किसी की भी जीत या हार तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. भाजपा और कांग्रेस सरकार बनाने के लिए आदिवासियों को वोट बैंक बना रही है. 2018 के चुनाव में आदिवासियों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ी थी.

2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी सीटों पर जीत का परचम नहीं लहरा पाई थी. लेकिन इस बार बीजेपी आदिवासी सीटों को गंवाने का रिस्क नहीं लेना चाहती है और इसके लिए वो कोई कसर नहीं छोड़ रही है. बीजेपी गोंड रानी कमलापति और दुर्गावती के प्रतीकों के जरिए दो साल से आदिवासी वोटों को साधने की कोशिश में लगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसपर काम कर रहें हैं.

रानी दुर्गावती की वीरता और बलिदान गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बीजेपी ने गौरव यात्रा निकाली. इसका शुभारंभ गृहमंत्री अमित शाह ने किया और समापन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने. अब उनकी जयंती मनाने का ऐलान किया गया है. इसके अलावा भी सरकार स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले शहीदों को हर रैली में याद कर रही है.वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस आदिवासियों पर लगातार हो रही अत्याचार पर सवाल उठा रही है.

आदिवासियों को लुभाने में कांग्रेस भी भरसक कोशिश कर रही है. बीते दिनों पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी जब जबलपुर आईं तो नर्मदा आरती और रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यपर्ण करके ही चुनावी बिगुल फूंका.5 अक्टूबर को रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती है. इसलिए बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस की सरकार इसे बहुत धूमधाम से मनाने जा रही है.आइए जानते हैं कि आखिर बीजेपी और कांग्रेस रानी दुर्गावती को इतनी अहमियत क्यों दे रही है.

कौन हैं रानी दुर्गावती

रानी दुर्गावती गोंडवाना की शासक महारानी थी. इनका शासनकाल 1550 से 1564 तक रहा था और ये भारत की एक प्रसिद्धवीरांगना थीं, इनका जन्म दुर्गाष्टमी के दिन 5 अक्टूबर 1524 इस्वी कोबांदा जिले के कालिंजर के राजा कीर्तिवर्मन चंदेल के यहां हुआ था. नाम के अनुरुप ही वह तेज और साहसी थी.रानी दुर्गावती मडावी गोंडो का यह सुखी और सम्पन्न राज्य पर मालवा के मुसलमान शासक बाजबहादुर ने कई बार हमला किया, पर हर बार वह हारता गया.

रानी दुर्गावती का पराक्रम की और रानी दुर्गावती अकबर के जुल्म के आगे कभी नहीं झूकी और स्वतंत्रता के लिए युध्द भूमी को चुना.मंडला जिले के शासकीय महाविद्यालय का नाम भी आदिवासी रानी दुर्गावती के नाम पर ही रखा गया है. रानी दुर्गावती की याद में कई जिलों में रानी दुर्गावती की प्रतिमाएं लगाई गई हैं और कई शासकीय इमारतों का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया है.

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