मणिपुर हिंसा (Manipur violence) से संबंधित 11 मामलों की जांच के लिए दो महिलाओं सहित तीन आईपीएस अधिकारियों (IPS officers) और दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के एक इंस्पेक्टर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जोड़ा गया है.
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ दिन पहले गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा से मणिपुर हिंसा मामलों (Manipur violence cases) की जांच के लिए तीन अधिकारियों को नियुक्त करने को कहा था.
एक अधिकारी ने कहा, “यह पहली बार होगा जब दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को उनके मामलों की जांच के लिए अन्य जांच एजेंसियों के साथ जोड़ा गया है. आमतौर पर दिल्ली पुलिस आतंक से जुड़े मामलों में अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ संयुक्त अभियान चलाती है.”
13 सितंबर को अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पुलिस मुख्यालय) पी के मिश्रा द्वारा सीबीआई निदेशक को एक पत्र भेजा गया था.
वह कहते हैं, “यह गृह मंत्रालय के 18 अगस्त के पत्र के जवाब में है. मुझे राज्य से निर्देश दिया गया है कि तीन चार अधिकारी – श्वेता चौहान और ईशा पांडे – दोनों 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, हरेंद्र कुमार सिंह – 2011 बैच के आईपीएस हैं और इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार को दिल्ली पुलिस द्वारा नामित किया गया है और उनकी सेवाएं मणिपुर हिंसा से संबंधित एफआईआर की जांच के उद्देश्य से सीबीआई को सौंपी गई हैं.”
IPS अधिकारियों का रिकॉर्ड
आईपीएस श्वेता चौहान 45 वर्षों में मध्य दिल्ली की पहली महिला पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) थीं और उन्हें पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने नियुक्त किया था. फरवरी में उन्हें G20 सेल का प्रमुख बनाने के लिए केंद्रीय जिले से दिल्ली पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया था.
2015 में श्वेता चौहान अतिरिक्त डीसीपी (बाहरी जिला) के रूप में उस टीम का हिस्सा थी, जिसने कथित सीरियल किलर और बलात्कारी रविंदर कुमार को छह साल की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था. रविंदर कुमार ने दावा किया था कि उसने 2007 से 2015 तक आठ वर्षों में कम से कम 36 बच्चों के साथ बलात्कार किया और उनकी हत्या कर दी.
वहीं जब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई शुरू की गई थी तब आईपीएस ईशा पांडे डीसीपी (दक्षिण-पूर्व जिला) थीं और जब दिल्ली में पीएफआई के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए थे, तब वह जांच का नेतृत्व कर रही थीं.
2018 में आईपीएस हरेंद्र कुमार सिंह को अतिरिक्त डीसीपी (उत्तरी जिला) के रूप में तैनात किया गया था. जब तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइन्स इलाके में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर दो AAP विधायकों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार और हमला किया गया था. एक प्राथमिकी दर्ज की गई और सिंह ने मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल का नेतृत्व किया.
मणिपुर हिंसा से संबंधित 11 मामले
मणिपुर हिंसा से संबंधित 11 मामलों में से तीन कथित सामूहिक बलात्कार के हैं और एक उस घटना से संबंधित है जहां सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट पर 56 वर्षीय महिला के निजी अंगों को सार्वजनिक रूप से लात मारने का आरोप लगाया गया था.
इनमें से चार मामले भीड़ की हिंसा से संबंधित हैं – तीन मैतेई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ और एक कुकी समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज किया गया है. कथित सामूहिक बलात्कार के दो मामलों में अभी तक आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई है जबकि एक मामले में अभी तक स्थान और समय का भी पता नहीं चल पाया है. तीसरे मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और एक जुवेनाइल को पकड़ा गया है.
सीबीआई ने अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से मणिपुर हिंसा मामलों की जांच के लिए 83 अधिकारियों को नियुक्त किया है, जिनमें दो उप महानिरीक्षक अधिकारी, दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और छह पुलिस उपाधीक्षक शामिल हैं – सभी महिलाएं हैं. उन्होंने टीम के साथ 16 महिला इंस्पेक्टर और 10 महिला सब-इंस्पेक्टर को जोड़ा है.
एक अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार होगा कि इतनी बड़ी संख्या में महिला अधिकारियों को एक साथ सेवा में लगाया गया है.
असम राइफल्स को हटाने की मांग
वहीं चार महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर से दिल्ली पहुंचे एक मैतेई समूह ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करते हुए असम राइफल्स को राज्य से हटाने की मांग पर जोर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि असम राइफल्स पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहा है.
नागरिक समाज संगठन कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) ने एक बयान में कहा कि दिल्ली मेईतेई समन्वय समिति (डीएमसीसी) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उनके आवास पर मुलाकात की और असम राइफल्स की जगह किसी और सुरक्षा बल की मांग की.