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काशी विश्वनाथ पहुंचे आदिवासी समुदाय के लोग, पारम्परिक वाद्ययंत्रों की धुन पर किया नृत्य

आदिवासियों के लिए काम करने वाले संगठन अनुसूचित जनजाति सुरक्षा मंच संघ परिवार का ही एक संगठन है. यह संगठन देश भर में ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की वकालत कर रहा है.

आदिवासी समुदाय (Tribal community) के लगभग 1,111 सदस्यों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एक पत्र भेजकर आग्रह किया कि जो लोग अन्य धर्मों में परिवर्तित हो गए हैं उन्हें अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) की सूची से बाहर कर दिया जाना चाहिए.

उनका कहना है कि क्योंकि वे कथित तौर पर एसटी सदस्यों को मिले आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं जबकि ऐसे लोग अब समुदाय का हिस्सा नहीं हैं.

वहीं इससे पहले उत्तर प्रदेश के के 13 जिलों के 16 जनजातियों के लोगों ने पारंपरिक पोशाक में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath temple) में बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए. उन्होंने आदिवासियों के हितों के लिए काम करने वाले संगठन, जनजाति सुरक्षा मंच (Janjati Suraksha Manch), यूपी के बैनर तले काशी विश्वनाथ धाम का दौरा किया.

पारंपरिक वाद्य यंत्र और घुंघरू की थाप पर पारंपरिक नृत्य करते हुए आदिवासियों ने गंगाधर से विश्वनाथ कॉरिडोर में प्रवेश किया. प्रवेश करने के साथ ही इन पर मंदिर प्रशासन की तरफ से फूलों की वर्षा की गई.

मंदिर चौक पर काफी देर तक जनजातीय समूह के लोगों ने अपने पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन करते हुए बाबा विश्वनाथ की स्तुति की. उसके बाद इन सभी लोगों को गर्भ गृह में ले जाकर बाबा विश्वनाथ का स्पर्श दर्शन कराया गया.

काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील कुमार वर्मा और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडे को अपनी मांग की एक प्रति सौंपी. बाद में उन्होंने पत्र पीएम को भेजा.

जेएसएम के महासचिव टेकराम खरवार ने कहा, “आज, हमने बाबा काशी विश्वनाथ की पूजा की और पूरे काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन किए. हमने काशी से पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी मांग का एक पत्र भेजा है क्योंकि वह यहां से सांसद हैं और सनातन धर्म परंपरा के संरक्षक भी हैं. जो लोग दूसरे धर्मों में परिवर्तित हो गए हैं, वे आदिवासी समुदाय के लोगों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “हम आदिवासी, जिनमें जंगल और पहाड़ों में रहने वाले निवासी भी शामिल हैं, सनातन धर्म का पालन करते हैं. हमें उम्मीद है कि पीएम मोदी हमारी मांग सुनेंगे.”

कार्यक्रम के संयोजक रामविचार टेकाम ने कहा, ”सनातनी आदिवासी चुपचाप यह नहीं देख सकते कि जो लोग सनातन धर्म छोड़कर दूसरे धर्म में आ गए, वे अब भी एसटी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. उन्हें एसटी सूची से बाहर किया जाना चाहिए ताकि सनातनी लोगों को न्याय मिल सके.”

आदिवासियों के लिए काम करने वाले संगठन अनुसूचित जनजाति सुरक्षा मंच संघ परिवार का ही एक संगठन है. यह संगठन देश भर में ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की वकालत कर रहा है.

फ़िलहाल देश के 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. इन राज्यों में मध्य प्रदेश, मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना शामिल हैं. इन सभी राज्यों में आदिवासी आबादी बड़ी संख्या में रहती है. यहां पर चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी सीधे तौर पर धर्म परिवर्तन के मामले को आदिवासी इलाकों में नहीं उठा रही है.

लेकिन संघ परिवार के उसके मित्र संगठन इस मुद्दे को लगातार सुर्खियों में बनाए रखने की कोशिश है. दरअसल बीजेपी या संघ परिवार के लिए यह मुद्दा चुनाव तक ही सीमित नहीं है, यह उनकी बड़ी योजना का हिस्सा है.

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