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कभी वंचित रहे आदिवासी सरकारी योजनाओं की मदद से विकास के शिखर पर पहुंच रहे हैं – पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जब मैंने गुजरात में मुख्यमंत्री का पद संभाला तो आदिवासी इलाके में साइंस पढ़ाने वाला कोई स्कूल नहीं था. सरकार ने स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है. पिछले दो दशकों में 2 लाख शिक्षकों की भर्ती की गई है और 1.25 लाख से अधिक कक्षाओं का निर्माण किया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) बुधवार को गुजरात (Gujarat) पहुंचे. गुजरात के आदिवासी क्षेत्र में शुरू की गई विकास परियोजनाओं को गिनवाते हुए पीएम मोदी ने दोहराया कि उन्होंने और भाजपा सरकार ने आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित किया है जो दशकों से इससे “वंचित” थे.

पीएम मोदी आदिवासी जिले छोटा उदयपुर (Chhota Udepur) के बोडेली (Bodeli) में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोल रहे थे. जहां उन्होंने 5,200 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इनमें 4,500 करोड़ रुपये की शैक्षिक परियोजनाएं शामिल थीं, जिनमें ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ कार्यक्रम भी शामिल था. उन्होंने विद्या समीक्षा केंद्र 2.0 की आधारशिला भी रखी.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “दलित, पिछड़े वर्ग और आदिवासी, जो कभी वंचित थे, आज विभिन्न सरकारी योजनाओं की मदद से विकास के शिखर पर पहुंच रहे हैं. आजादी के इतने दशकों के बाद मुझे आदिवासियों के गौरव को श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला क्योंकि बिरसा मुंडा की जयंती अब आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाई जाती है.”

पीएम ने कहा कि गुजरात में सत्ता में आने के बाद से बीजेपी सरकार ने आदिवासियों के लिए बजट पांच गुना बढ़ा दिया है.

शिक्षा क्षेत्र के बारे में बोलते हुए मोदी ने कहा, “मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और विद्या समीक्षा केंद्र 2.0 का स्कूली शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. कुछ दिन पहले मैं विश्व बैंक के अध्यक्ष से मिला था जब उन्होंने विद्या समीक्षा केंद्र का दौरा किया था. उन्होंने मुझसे हर जिले में ऐसे केंद्र स्थापित करने का अनुरोध किया और विश्व बैंक इस परियोजना का समर्थन करने के लिए तैयार है.”

पीएम मोदी ने आगे कहा, “जब मैंने गुजरात में मुख्यमंत्री का पद संभाला तो आदिवासी इलाके में साइंस पढ़ाने वाला कोई स्कूल नहीं था. सरकार ने स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है. पिछले दो दशकों में 2 लाख शिक्षकों की भर्ती की गई है और 1.25 लाख से अधिक कक्षाओं का निर्माण किया गया है. आदिवासी क्षेत्रों में साइंस, कॉर्मस और आर्ट इंस्टीट्यूशन का एक उभरता हुआ नेटवर्क है.”

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) में मातृभाषा के महत्व पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से आदिवासी छात्रों के लिए नए अवसर पैदा होंगे और वे सशक्त होंगे.

मुद्रा योजना के तहत पहली बार उद्यमियों को प्रदान किए जा रहे संपार्श्विक मुक्त लोन पर मोदी ने कहा, “मुद्रा योजना के तहत आपको बैंकों से बिना गारंटी के ऋण मिलता है। गारंटी किसकी, ये मोदी की है.”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना नाई, दर्जी, धोबी, कुम्हार, लोहार, सुनार, बढ़ई, मोची और राजमिस्त्री जैसे लोगों को भी कम ब्याज पर लोन देती है.

पीएम ने कहा, “इस योजना के तहत लोन के लिए किसी गारंटी की आवश्यकता नहीं है केवल एक गारंटी की जरूरत है (जो कि) मोदी हैं.”

स्कूल, सड़क, आवास और पानी की उपलब्धता के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि ये सम्मानजनक जीवन जीने के लिए बुनियादी जरूरतें हैं. उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए चार करोड़ से अधिक घर बनाए गए हैं. हमारे लिए गरीबों के लिए घर सिर्फ एक संख्या नहीं है बल्कि सम्मान बढ़ाने वाला है.

जहां एक तरफ पीएम मोदी आदिवासी क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को गिनवाते नहीं थक रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इसी साल जून महीने में आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने राज्य में आदिवासी समुदाय द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और भर्ती में कोताही के गंभीर संकट से जूझने की बात कही थी.

वहीं गुजरात के ही एक IAS अधिकारी ने भी राज्य के आदिवासी इलाकों में शिक्षा और स्कूलों की स्थिति पर सवाल उठाए थे.

एक तरफ गढ़वी ने कहा था कि छोटा उदयपुर में प्राथमिक विद्यालयों की दयनीय स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि स्थिति केवल इस क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि गुजरात के पूरे आदिवासी क्षेत्रों तक फैली हुई है.

दूसरी तरफ गांधीनगर में भूविज्ञान और खनन आयुक्त के रूप में कार्यरत आईएएस अधिकारी धवल पटेल ने भी छोटा उदयपुर जिले में शिक्षा की स्थिति पर आश्चर्य और पीड़ा व्यक्त की थी.

धवल का कहना था कि आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले के कुछ प्राथमिक विद्यालयों के छात्र एक शब्द तक नहीं पढ़ पाते हैं और वे गणित के आसान सवाल भी हल नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा था कि अगर आदिवासियों को ऐसी ही शिक्षा दी जाती रही तो उनकी आने वाली पीढ़ियां मजदूरी ही करती रहेंगी.

इस अहम मुद्दे पर धवल पटेल ने शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा था.

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