बारिश की भूमि कहे जाने वाले इगतपुरी में आदिवासी समुदायों को अप्रैल में भी पानी की भीषण कमी का सामना करना पड़ता है.
मानसून के दौरान मौसमी 4000 मिमी वर्षा होने के बावजूद, जल प्रबंधन की सही व्यवस्था न होने के कारण पानी की कमी अभी से शुरु हो गई है.
महाराष्ट्र के नासिक में भावली बांध से इगतपुरी शहर तक पानी की पाइपलाइन की स्थापना की जा चुकी है. लेकिन 16 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिला.
यहाँ के निवासियों को पूरे सप्ताह में केवल तीन दिन पानी मिलता है और यह समस्या आज या कल की नहीं है बल्कि पिछले पाँच वर्ष से यहाँ के हालात ऐसे ही हैं.
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इगतपुरी में पानी की किल्लत
इस बीच, इगतपुरी नगर परिषद के तहत कातुरवाड़ी, वागाचा झाप और मेंगल झाप में आदिवासी ग्रामीण पानी की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं.
उचित व्यवस्था की कमी के कारण निवासियों को घाटनदेवी मंदिर के पास एक झरने से पानी लाने के लिए दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.
वादों के बावजूद, पिछले साल बनाई गई पाइपलाइन सूखी पड़ी है, जिससे यहाँ के आदिवासी समुदाय महादेव कोली, कोकनी, भील और वरली मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.
स्थानीय नागरिकों के पास निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधूरे वादों पर अफसोस जताने के अतिरिक्त कोई विकल्प भी नहीं हैं.
दूसरी ओर, आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष लकी जाधव ने आदिवासी समुदायों की दुर्दशा पर शीघ्र ध्यान नहीं देने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है.
इस सब के बीच संसाधनों का भी एक बराबर वितरण ना होना भी एक बड़ा मुद्दा है. क्योंकि जब इन आदिवासी बस्तियों में हफ़्ते में 3 दिन पानी आता है तो फिर तालेगांव बांध के पास स्थित ऊँचे घरानों की पानी की आपूर्ति कैसे होती है ?