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बेटे के BJP में शामिल होने के बाद गुजरात के आदिवासी नेता छोटू वसावा ने बनाया नया संगठन

वसावा ने 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बीटीपी की स्थापना की थी जब जदयू ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था. उस समय पार्टी ने दो सीटें - झगड़िया से छोटू वसावा और उनके बेटे महेश ने डेडियापाड़ा से जीत हासिल की थी.

गुजरात के प्रमुख आदिवासी नेता छोटू वसावा ने एक नया संगठन बनाया है. छोटूभाई कहा है कि उन्होंने अपने बेटे और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के अध्यक्ष के सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने के कुछ दिनों बाद देश की आदिवासी आबादी के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एक नया संगठन बनाया है.

बीटीपी संस्थापक ने बुधवार को कहा कि उनका नया संगठन, भारत आदिवासी संविधान सेना (BASS), एक सामाजिक संगठन है न कि राजनीतिक संगठन. साथ ही उन्होंने कहा कि वह जल्द ही घोषणा करेंगे कि वह किस बैनर के तहत आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं.

भाजपा में शामिल होने के लिए अपने बेटे महेश वसावा पर परोक्ष हमला करते हुए उन्होंने कहा कि समुदाय उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने पैसे और सत्ता के लालच में इसे धोखा दिया है.

वहीं वसावा के सहयोगी अंबालाल जाधव ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि भारत आदिवासी पार्टी (BAP), जिसकी स्थापना पिछले साल राजस्थान में हुई थी, जहां उसने 2023 के विधानसभा चुनावों में तीन सीटें और मध्य प्रदेश में एक सीट जीती थी. उसके सदस्य संसदीय चुनावों के लिए अगली रणनीति तैयार करने के लिए शुक्रवार को वसावा से मुलाकात करेंगे.

उन्होंने कहा कि चार विधायक (राजस्थान से तीन और मध्य प्रदेश से एक), जो बीएपी के सदस्यों में से हैं वो शुक्रवार को छोटू वसावा से मिलेंगे. हम चुनाव लड़ने पर भी फैसला करेंगे.”

बीटीपी, जिसकी स्थापना वसावा ने की थी और जिसका नेतृत्व उनके बड़े बेटे महेश वसावा ने किया था, 11 मार्च को सत्तारूढ़ दल में शामिल होने के बाद उसका भाजपा में विलय हो गया.

छोटू वसावा, जिन्होंने 2004 और 2009 में जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार के रूप में और 2014 में बीटीपी उम्मीदवार के रूप में भरूच सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था. उन्होंने कहा कि उनके नए संगठन BASS का गठन आदिवासी आबादी के हितों की रक्षा के लिए और उनके खिलाफ काम करने वाली ताकतों का मुकाबला करने के लिए किया गया है.

बुधवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”यह भारतीय आदिवासी सेना एक सामाजिक संगठन है, न कि राजनीतिक संगठन और कुछ दिनों में घोषणा करूंगा कि मैं किस बैनर के तहत लोकसभा चुनाव लड़ूंगा.”

उन्होंने कहा कि वह जल्द ही संगठन को पूरे भारत में फैलाएंगे.

वसावा ने 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बीटीपी की स्थापना की थी जब जदयू ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था. उस समय पार्टी ने दो सीटें – झगड़िया से छोटू वसावा और उनके बेटे महेश ने डेडियापाड़ा से जीत हासिल की थी.

2022 में, उन्होंने अपने बेटे के साथ मतभेदों के बाद झगड़िया से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा के रितेश वसावा से हार गए.

20 मार्च को उन्होंने आदिवासी नेता और संविधान सभा के सदस्य जयपाल सिंह मुंडा को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद भरूच जिले के झगड़िया में BASS के गठन की घोषणा की.

उनकी घोषणा उनके बेटे और तत्कालीन बीटीपी अध्यक्ष महेश वसावा के 11 मार्च को सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के कुछ दिनों बाद आई.

उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, “जयपाल सिंह मुंडा की 54वीं पुण्य तिथि पर हमने BASS का गठन किया है. ऐसे संगठन की जरूरत है क्योंकि बाहरी और अंदरूनी ताकतें आदिवासियों को लूटने पर तुली हुई हैं. संगठन सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने और उन्हें रोकने के लिए तैयार है. हम धीरे-धीरे इसे पूरे भारत में ले जाएंगे.”

संविधान को अपना “धर्म” बताते हुए वसावा ने कहा कि वह आदिवासी आबादी के अधिकारों और उनकी भूमि और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ इसके बैनर तले अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

यह घोषणा करने से पहले वसावा ने एक्स पर पोस्ट किया कि समुदाय “उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने पैसे और सत्ता के लालच में इसे धोखा दिया है.” यह बयान उनके बेटे के भाजपा में शामिल होने का संदर्भ था.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आदिवासियों की आवाज उठाई और भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वे सत्ता और पैसे के लालच में उसी पार्टी में शामिल हो गए और समुदाय उन्हें कभी माफ नहीं करेगा.

(Image Credit: Facebook/@Chhotubhai A Vasava)

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