मणिपुर के 10 आदिवासी विधायकों ने चुनाव आयोग से यह आग्रह किया है कि वे विस्थापित कुकी लोगों के लिए वोटिंग का इंतज़ाम करें.
इन सभी विधायकों ने अपनी इस मांग के संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिखा है.
इस पत्र में उन्होंने यह भी आग्रह किया है की 50,000 विस्थापित कुकी लोगों को आधार कार्ड या अन्य किसी सरकारी दस्तावेज़ के आधार पर वोट देने की अनुमति भी दी जाए.
मणिपुर में कुकी मैतई संघंर्ष के दौरान स्थिति इतनी बेकाबू हो गई थी कि कई लोगों को अपना घरबार छोड़कर भागना पड़ा.
इसलिए इनमें से कई ऐसे आदिवासी है, जिनके पास वोटर आईडी कार्ड तक मौजूद नहीं है.
मणिपुर में 3 मई से चली आ रही मैतई और कुकी समुदाय के बीच संघंर्ष अभी तक थमा नहीं है.
विधायकों ने बताया की इस संघंर्ष में लगभग 160 कुकी लोगों की मौत हो चुकी है
इसके अलावा इंफाल सहित कई अन्य पहाड़ी ज़िलों में 360 गिरजाघर, 205 गाँव और 7000 घर तबाह हो गए हैं.
इन विधायकों ने यह दावा किया है की कुकी समुदाय के लगभग 50,000 ऐसे लोग हैं, जो देश के अन्य राज्य जैसे मिज़ोरम, असम, नागालैंड, मेघालय, दिल्ली सहित कई जगहों पर विस्थापित हो गए है.
राज्य में अभी भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है. इसलिए ये आदिवासी वोट देने के लिए अपने घर या गाँव में नहीं लौट सकते है.
इसलिए उन्होंने चुनाव आयोग से यह आग्रह किया है की वे विस्थापित आदिवासियों के लिए भी वोटिंग का इंतज़ाम करें.
अगर ये आदिवासी वोट नहीं दे पाएंगे, तो यह सीधे तौर पर संविधान के तहत मिलने वाले मताधिकार का उल्लंघन होगा.
विस्थापन के अलावा कुछ लोग राज्य में छिपे हुए थे, जो अब रिलीफ कैंप में रहे रहें है. रिलीफ कैंप में रहने वाले शरणार्थियों के लिए भी वोटिंग का इंतज़ाम किया गया है.
मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), प्रदीप कुमार झा ने जानकारी दी की रिलीफ कैंप में जितने भी शरणार्थी मौजूद है. उनके लिए वोट देने का प्रबंध किया जाएगा.
राज्य में फिलहाल 320 रिलीफ कैंप मौजूद है. जिनमें 59,000 से भी ज्यादा पुरूष, महिलाएं और बच्चे रहे रहें है.
राज्य में दो लोकसभा सीटे है- आउटर और इनर. जिनमें दो चरणों में मतदान होंगे.
राज्य का पहला चरण, 19 अप्रैल से शुरू होगा, जो इनर मणिपुर को कवर करेगा. वहीं आउटर मणिपुर में वोटिंग दोनों ही चरणों में होगी. दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होगा.