HomeAdivasi Dailyतमिलनाडु: अपने समुदाय की पहली पायलट बनी जयश्री

तमिलनाडु: अपने समुदाय की पहली पायलट बनी जयश्री

तामिनलाडु (Tamil Nadu) के बडुगा समुदाय (Baduga community) की 27 वर्षीय जयश्री ने दक्षिण अफ्रीका के फ्लाइंग स्कूल से ग्रेजुएट होने के बाद अपने समुदाय से पहली पायलट बनकर इतिहास रच दिया है. निलगिरि ज़िले के कोठागिरि की रहने वाली जयश्री बाडुगा (Jayashree Baduga) अपने समाज की पहली पायलट हैं. जयश्री ने अपने सपनों को पाने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया और सफल भी हुई.

जयश्री ने अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी कर ली थी और एक आईटी पेशेवर के रूप में काम करते हुए, उन्होंने एक फ्लाइंग स्कूल में दाखिला लेने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने अफ्रीका के उलकान एविएशन इंस्टीटयूट (Ulkan Aviation Institute) से पायलट बनने के लिए अपनी पढ़ाई पूरी की.

कोर्स के बाद जयश्री ने जोहान्सबर्ग फ्लाइट से ट्रेनिंग ली थी. जिसके दौरान उन्होंने प्राइवेट प्लेन को उड़ाने का लाइसेंस मिला. साथ ही 70 घंटे प्लेन उड़ाने का रिकॉर्ड भी बनाया. अब वो कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करना चाहती है. जिसके लिए उन्हें 250 घंटे प्लेन उड़ाने का रिकॉर्ड बनाना पड़ेगा.

जयश्री की कहानी

जयश्री के पिता जे. मणि गांव के रिटायर्ड ग्राम प्रशासक है और उनकी मां मीनामानी एक संगीतकार है. जयश्री को बचपन से ही पायलट बनने का सपना था लेकिन शुरुआत में मध्यम वर्ग परिवार से होने के कारण वो अपना ये सपना पूरा ना कर सकी.

स्कूल के बाद उन्होंने कोयम्बटूर के प्राइवेट कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की. जिसके बाद उन्होंने आईटी कंपनी में बिजनेस एनालिटिक्स और डेवलेप के रुप में काम किया. कोविड के लॉकडाउन के समय में उन्होनें अपना काम घर से जारी रखा. लेकिन आईटी कंपनी में एक अच्छी जॉब होने के बाद भी वह खुश नहीं थी क्योंकि उनके बचपन का सपना अभी तक अधूरा था.

फिर उन्होंने फैसला लिया की वे विदेश में जाकर पायलट बनने का अपना अधूरा सपना पूरा करेगी. फिर क्या था इसके बाद जयश्री ने पिछे मुड़कर नहीं देखा. अपनी हाई प्रोफाइल आईटी कंपनी की जॉब छोड़कर उन्होंने अफ्रीका जाने का फैसला किया.

जयश्री आईटी कंपनी में काम करने के साथ साथ यू एंड आई ट्रस्ट ( U & I trust ) में वॉलंटियर के रूप में काम करती थी. यू एंड आई ट्रस्ट के अंतर्गत वह अपने जिले के गरीब बच्चों को अंग्रेजी और गणित पढ़ाती थी. साथ ही वह कॉलेज के बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) में भी ट्रेंनिग भी देती थी. उन्होंने कहा की वह पायलट बन कर भी गरीब बच्चों को ऐसे ही पढ़ाती रहेगीं.

जयश्री अपने समुदाय और अन्य लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं. वहीं बडुगा अपनी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के साथ ऊटी और कुन्नूर क्षेत्र के आसपास रहने वाला एक आदिवासी समुदाय है.

हाल के वर्षों में बडुगा सशस्त्र बलों और मर्चेंट नेवी में शामिल होकर नए विकल्प तलाशने के लिए धीरे-धीरे क्षेत्र से बाहर आ रहे हैं.

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