आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की माँग के समर्थन में आज कोलकाता में बड़ी जनसभा का आयोजन किया गया. रानी रासमणि मार्ग पर आयोजित इस रैली में पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा और झारखंड के आदिवासियों ने भी भाग लिया.
इस रैली का आह्वान आदिवासी सेंगेल अभियान की तरफ़ से किया गया था. आदिवासी सेंगेल अभियान के बैनर तले पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के छोटे-बड़े 50 से ज़्यादा संगठन शामिल हैं. इस मंच के अध्यक्ष पूर्व लोकसभा सांसद सलखान मूर्मु हैं.
देश के कई राज्यों में जनगणना में आदिवासियों की अलग पहचान दर्ज करने की माँग हो रही है. इसके अलावा झारखंड, ओडिशा औेर पश्चिम बंगाल में सरना धर्म कोड की माँग की जा रही है. इस सिलसिले में झारखंड में हेमेंत सोरेन सरकार पहले ही एक प्रस्ताव पास करके केंद्र को भेज चुकी है.

उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस माँग के समर्थन में कई बार बोल चुकी हैं. लेकिन केंद्र सरकार और बीजेपी में आदिवासियों की अलग धर्म से जुड़ी माँग पर खामोशी है.
आज की जनसभा के ज़रिए आदिवासी संगठन अपनी ताक़त और दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन करना चाहते थे.आज की सभा में यह घोषणा की गई है कि अगर केंद्र सरकार ने इस मसले पर आदिवासी संगठनों के साथ बातचीत शुरू नहीं की तो आंदोलन तेज़ किया जाएगा.
आंदोलन की रूपरेखा के बारे में बोलते हुए यहाँ पर आदिवासी नेताओं ने कहा कि 30 नवंबर 2022 को कम से कम 5 राज्यों में रेल रोको कार्यक्रम किया जाएगा. आदिवासी संगठनों ने कहा है कि अगर सरकार बातचीत के लिए आगे आती है तो इस कार्यक्रम को टाला जा सकता है.
लेकिन अगर सरकार ने बातचीत की शुरूआतें नहीं की तो फिर आंदोलन को और आगे बढ़ाया जाएगा.
आज की जनसभा में शामिल नेताओं में झारखंड में सरना धर्म आंदोलन के बड़े नेताओं में शुमार कर्मा उराँव और बंधन तिग्गा भी शामिल हुए.