HomeLaw & Rightsपीएम-जनमन (PM-JANMAN): हक़ीकत की ज़मीन पर दावे यूं दम तोड़ते हैं

पीएम-जनमन (PM-JANMAN): हक़ीकत की ज़मीन पर दावे यूं दम तोड़ते हैं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदिवासी में भी सबसे कमज़ोर समुदायों के विकास पर 24000 करोड़ रूपए ख़र्च करने का ऐलान किया था. लेकिन सच्चाई ये है कि उन आदिवासियों की सही सही जनसंख्या तक सरकार को नहीं पता है. गांव गांव जा कर पीवीटीजी यानि विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासियों की सही सही जनसंख्या का पता लगाया जाएगा. लेकिन आदिवासी मंत्रालय ही 4 महीने में पीवीटीजी की जनसंख्या के तीन अलग अलग आंकड़े पेश कर चुका है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पीएम जनमन (PM-JANMAN) पैकज यानि विशेष रुप से पिछड़ी जनजातियों (PVTGs) के विकास की योजना को लागू करने की प्रक्रिया में विचित्र स्थिति पैदा हो गई है. इस पैकज के तहत प्रधानमंत्री ने 24000 करोड़ रूपए ख़र्च करने का ऐलान किया था.

केंद्रीय मंत्री मंडल ने आनन-फ़ानन में पीएम जनमन पैकज की राशी को मंजूरी भी दे दी थी. लेकिन जिन आदिवासी समुदायों के विकास पर 24000 करोड़ रूपए ख़र्च किये जाने हैं, उनकी संख्या कितनी है, यह सरकार को सही सही नहीं पता है.

जब इस योजना की घोषणा हुई थी तो यह बताया जा रहा था कि देश में पीवीटीजी समुदाय के लोगों की कुल जनसंख्या करीब 22 लाख है. लेकिन अब जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अनुमान लगा कर बताया है कि फ़िलहाल देश के अलग अलग राज्यों में पीवीटीजी के करीब 44.64 लाख लोग रहते हैं. 

यह जानकारी आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने जनवरी महीने के अंत में पेश की है. इससे पहले सरकार ने दो अनुमान और पेश किये थे. इन अनुमानों के अनुसार पीवीटीजी की जनसंख्या जनवरी महीने के मध्य में करीब 36.75 लाख बताई गई थी. जबकि नवंबर में सरकार का अनुमान था कि देश में आदिम जनजातीयों के करीब 28 लाख लोग रहते हैं. 

पीएम जनमन पैकेज को लागू करने के लिए पीवीटीजी समुदायों की जनसंख्या पता होना बहुत ज़रूरी है. इसकी एक बड़ी वजह तो यह है कि जब तक सही सही जनसंख्या का पता नहीं होगा तब तक यह पता लगाना भी मुश्किल होगा कि विकास योजना में कमी कहां पर और कितनी है. 

दूसरी एक और बड़ी वजह है कि आदिवासी विकास की कई योजनाओं में जनसंख्या की मात्रा भी एक कैटेगरी होती है. सरकार का कहना था कि उसका लक्ष्य कम से कम विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों की 22500 बस्तियों या गांवों में इस पैकेज को लागू करना होगा. 

लेकिन इस बीच में आदिवासी मंत्रालय ने जनवरी महीने में पीवीटीजी की कुल जनसंख्या के दो आंकड़े और पेश कर दिए हैं. ज़ाहिर है कि जनसंख्या के नए आंकड़ों के आने के बाद असमंजस बढ़ा है. 

आदिवासी मंत्रालय के इन आंकड़ों में यह भी पेंच है कि इसमें बिहार और मणिपुर के आंकड़े शामिल नहीं हैं. 

यह भी पता चला है कि अलग अलग राज्यों में पीवीटीजी की जनसंख्या का पता लगाने के लिए प्रशासन अलग अलग तकनीक और पैमाने इस्तमाल कर रहा है. किसी राज्य में राशन वितरण को आधार बनाया जा रहा है तो किसी राज्य में 2011 की जनगणना को आधार बना कर जनसंख्या का अनुमान लगाया जा रहा है.

कई राज्य अलग अलग उद्देश्य से करवाए गए सर्वे का सहारा ले रहे हैं. 

पीवीटीजी समुदायों की सही सही संख्या पता लगाने में मुश्किल की बड़ी वजह जनगणना के टलते जाना है. 

पीएम जनमन योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड में बिरसा मुंडा के जन्मदिन यानि 15 नवंबर 2023 को उनके जन्मस्थल खुंटी से की थी. प्रधानमंत्री ने इस योजना के तहत 24000 करोड़ रुपए ख़र्च करने का ऐलान किया था.

यह पैसा तीन साल में ख़र्च किया जाएगा. अभी तक इस पैकज के तहत करीब 4700 करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट को ही मंजूरी मिली है. 

इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती हैं कि देश के सबसे कमज़ोर आदिवासी समुदायों पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है. क्योंकि इनमें से कई समुदायों के अस्तित्व को ही ख़तरा नज़र आ रहा है. 

लेकिन अनुभव यह बताता है कि जब तक ठोस आंकडे नहीं हो तो योजनाओं का असर नीचे तक कम ही होता है. इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि पीवीटीजी समुदायों के बारे में जनसंख्या ही नहीं अन्य विकास मानकों के ठोस आंकड़े जुटाए जाएं. 

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