HomeInterviewक्रॉस पहन लिया तो आरक्षण के हक़दार नहीं रहे - कैलाश निनामा

क्रॉस पहन लिया तो आरक्षण के हक़दार नहीं रहे – कैलाश निनामा

कैलाश निनामा कहते हैं कि जो आदिवासी चर्च जाने लगे हैं वे आदिवासी रीति रिवाजों को मानना बंद कर देते हैं. उनका तर्क है आदिवासी की पहचान उसकी ख़ास जीवन शैली है, अगर वे उस जीवनशैली को छोड़ देते हैं तो फिर उन्हें अनुसूचित जनजाति के लाभ नहीं मिलने चाहिएँ.

भारत के आदिवासी बहुल राज्यों में जनजाति सुरक्षा मंच नाम का संगठन आदिवासियों में धर्मांतरण को मुद्दा बना रहा है. यह संगठन पिछले कई साल से धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों का आरक्षण समाप्त करने के लिए आंदोलन चला रहा है.

जनजाति सुरक्षा मंच की मांग है कि ऐसे आदिवासी जो अब जनजातीय परंपराओं को छोड़ चुके हैं उन्हें अनुसचूति जनजाति की सूचि से बाहर कर दिया जाना चाहिए.

क्या वे आदिवासी जो हिन्दू धर्म के विधि विधान को मानने लगे हैं, वे भी डीलिस्ट होने चाहिएँ ? क्या उनका आरक्षण भी समाप्त होना चाहिए ? इस सवाल पर जनजाति सुरक्षा मंच के नेता कहते हैं कि हिंदू धर्म भारतीय है.

बल्कि जनजाति सुरक्षा मंच सभी आदिवासियों को हिंदू ही बताता है. इस पूरे मसले पर MBB के संपादक श्याम सुंदर ने जनजाति सुरक्षा मंच के नेता कैलाश निनामा से बातचीत की है.

आप यह पूरा इंटरव्यू उपर लगे लिंक को क्लिक करके देख सकते हैं.

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