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नरेन्द्र मोदी के पैरों पर गिर कर आदिवासियों के लिए पैसा माँगूँ क्या – ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने मंगलवार को आदिवासियों से कहा कि वो केन्द्र की बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन करें. ममता बनर्जी ने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य को मनरेगा (MGNREGA) के तहत 100 दिन काम उपलब्ध कराने के लिए पैसा नहीं दे रही है.

झारग्राम के बेलपहाड़ी इलाक़े में आदिवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “आप तीर-कमान और ढमसा-मादल ले कर सड़कों पर उतर जाओ, मैं आपके साथ खड़ी रहूँगी.” ममता बनर्जी ने अपने भाषण में कहा, “एक साल पहले मैं प्रधानमंत्री से मिली थी और यह मुद्दा उनके सामने रखा था, अब क्या मैं उनके पैरों में गिर कर पैसे माँगूँ.” 

झारग्राम की विधायक और पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री बीरबाहा हांसदा (Birbaha Hansda) भी इस कार्यक्रम में मौजूद थीं. MBB से बातचीत करते हुए बीरबाहा हांसदा ने पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच मनरेगा फंड के विवाद पर कहा, “आदिवासी परिवारों में से ज़्यादातर गरीब हैं और वे मनरेगा के तहत 100 दिन के काम पर काफ़ी निर्भर करते हैं. लेकिन केन्द्र सरकार ने मनरेगा फंड देना पूरी तरह से बंद कर रखा है.”

उन्होंने आगे कहा, “केन्द्र सरकार को समझना चाहिए कि आदिवासी इलाक़ों में अगर मनरेगा फंड नहीं आएगा तो आदिवासी परिवारों की जीविका बुरी तरह से प्रभावित होती है. आदिवासी परिवारों के लिए अपना घर चलाना मुश्किल होता है. इसलिए केंद्र सरकार को इस मसले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और फंड तुरंत रिलीज़ किये जाने चाहिएँ.”

बीरबाहा हांसदा

MBB से बात करते हुए हांसदा ने कहा कि बीजेपी आदिवासी इलाक़ों में अशांति फैलाना चाहती है. वो कहती हैं, “आदिवासी मनरेगा के तहत अपनी बकाया मनरेगा मज़दूरी की माँग कर रहे हैं. अगर उन्हें यह मज़दूरी नहीं मिली तो वे सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे. क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं होगा”

बीरबाहा हांसदा ने बीजेपी पर आदिवासी पहचान को ज़बरदस्ती बदलने की कोशिश का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की अपनी सामाजिक-धार्मिक पहचान है. लेकिन बीजेपी लगातार आदिवासी समुदायों पर दबाव बना रही है और हिंदू पहचान थोपने की कोशिश कर रही है.

बीरबाहा हांसदा ने कहा, “हमें ख़ुशी है और गर्व है कि हमारे देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला है. लेकिन अब उन्हें आदिवासी मुद्दों पर काम करना चाहिए. अगर बीजेपी आदिवासी मसलों पर इतनी चिंतित है तो फिर केंद्र सरकार को आदिवासी धर्म कोड दे देना चाहिए.”

आदिवासी पहचान और अलग धर्म कोड के मसले पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “पहले केंद्र सरकार की नौकरियों के भर्ती फ़ॉर्म में धर्म के कॉलम में एक कॉलम ‘अन्य’ का भी होता था. लेकिन अब हमें इस तरह कि शिकायत मिलती हैं कि यह कॉलम ख़त्म कर दिया गया है. 

सरना धर्म कोड की माँग के समर्थन में कोलकाता में जमा आदिवासी (फाइल फ़ोटो)

ममता बनर्जी की आक्रामक शैली और आदिवासी मुद्दे

ममता बनर्जी अपनी आक्रामक शैली की राजनीति के लिए जानी जाती हैं. वे जानती हैं कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के वर्चस्व के लिए आदिवासियों का समर्थन बेहद अहम है. तृणमूल कांग्रेस अगर पश्चिम बंगाल की सत्ता में पहुँची है तो उसमें आदिवासी समुदायों की भूमिका सबसे अहम थी.

हाल ही में ममता बनर्जी के एक मंत्री अखिल गिरी ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी की थी. इस टिप्पणी के बाद बीजेपी तृणमूल कांग्रेस को आदिवासी विरोधी साबित करने पर तुली थी. लेकिन मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने झारग्राम पहुँच कर एक तीर से दो शिकार किये.

ममता बनर्जी ने मनरेगा मज़ूदरी का बकाया माँग रहे आदिवासियों का ग़ुस्सा केंद्र सरकार की बीजेपी सरकार की तरफ़ घुमा दिया. वहीं उन्होंने अपनी आक्रामक शैली में भाषण देते हुए जिस तरह से आदिवासियों को केंद्र की बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरने का आह्वान किया उससे द्रोपदी मुर्मू के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी पर बीजेपी जो बहस चला रही थी उससे लोगों का ध्यान भटक गया है.

दरअसल केंद्र सरकार ने इस साल अप्रैल महीने से पश्चिम बंगाल सरकार को मनरेगा के लिए पैसा नहीं भेजा है. इसका कारण इस क़ानून के तहत 100 दिन का रोज़गार पैदा करने के लिए जो पैसा केंद्र पश्चिम बंगाल को दे रहा था, उसमें गड़बड़ी की शिकायत बताई गई हैं. 

केंद्र सरकार का कहना है कि पश्चिम बंगाल को इस काम के लिए जो पैसा दिया गया था उसमें वित्तीय गड़बड़ी बड़े स्तर पर पाई गई थीं. यह बताया जा रहा है कि बकाया मनरेगा मज़दूरी के सवाल पर बीजेपी आदिवासी इलाक़ों में एक बड़ा अभियान छेड़ने की तैयारी कर रही थी.

इस अभियान के तहत बीजेपी की योजना आदिवासी इलाक़ों में तृणमूल कांग्रेस को घेरने की थी. बीजेपी का आरोप है कि मनरेगा के पैसे का मोटा हिस्सा तृममूल कांग्रेस के नेता डकार रहे थे. लेकिन ममता बनर्जी ने बीजेपी के अभियान की शुरुआत से पहले ही आदिवासियों को केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा होने के लिए कहा है.

इस राजनीतिक मुक़ाबले में इतनी उम्मीद ज़रूरी की जा सकती है कि अब आदिवासियों को उनकी मेहनत मज़दूरी का बकाया और आगे 100 दिन का काम मिल सके, इस पर कुछ फ़ैसला हो जाए. 

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