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मध्य प्रदेश के आदिवासी: डीजे, देजा और दारू में बर्बाद हो रहे हैं

आदिवासियों की परंपराओं और संस्कारों में देसी शराब का अति महत्वपूर्ण स्थान है. लेकिन आज के ज़माने में आदिवासी समाज के शादी ब्याह या दूसरे समारोह में अंग्रेज़ी शराब पर बेइंतहा पैसा ख़र्च किया जाता है. इसके अलावा वधू मूल्य यानि देजा की रकम भी कई परिवारों के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है. देखिए मध्य प्रदेश के अलीराजपुर से यह हमारी स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट

मध्य प्रदेश के अलिराजपुर आदिवासी बहुल ज़िला है. इस ज़िले में भिलाला आदिवासी रहते हैं. भिलाला आदिवासी भील आदिवासी समुदाय का एक उप-समूह है. हर बरस यहां पर 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस का बड़ा आयोजन होता है.

इस दिन अलिराजपुर में लोगों को सैलाब होता है. यहां पर डीजे की धुन से धरती थर्राती है, जी हां धरती थर्राती है कहना ही ठीक होगा, क्योंकि यहां पर एक साथ इतने डीजे बजते हैं कि गिनना मुश्किल हो जाता है.

डीजे पर बज रही धुन पर आदिवासी युवक-युवती मस्त हो कर नाचते हैं. पुरूष हो या स्त्री सभी चटक रंग के परंपरागत वस्त्रों में नज़र आते हैं.

अलीराजपुर में इस उत्सव में एक बेहद ख़ास बात यह है कि विश्व आदिवासी दिवस पर अपनी सांस्कृतिक पहचान, भाषा- बोली, जल-जंगल और ज़मीन को बचाने के प्रण के साथ यहां पर आदिवासी समाज अपने भीतर झांक कर भी देखता है.

मसलन इस साल यानि 9 अगस्त 2023 को आयोजित कार्यक्रम में अलीराजपुर के कार्यक्रम के मुख्य मंच से D-3 की बड़ी चर्चा थी. यहां पर आदिवासी गांवों में D-3 पर काम करने वाले कई लोगों को सम्मानित किया गया.

इन लोगों में गांव के पटेल, सरपंच और कई अन्य ज़िम्मेदार लोग शामिल थे. दरअसल आदिवासी समाज के नौजवानों के संगठन जयस ने अपने ज़िले में आदिवासी समुदाय की ग़रीब, अशिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी एक बड़ी समस्याओं का कारण पता लगाया. इन कारणों को D-3 नाम दिया गया यानि डीजे, देजा और दारू.

पूरी बात समझने के लिए यह हमारी स्पेशल रिपोर्ट देखिये, लिेंक पर क्लिक करें.

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